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बाल कहानी : सहयोग (Lotpot Kids Story): अमिताभ एक सीधा साधा लड़का था। उसमें कोई बुरी आदत नहीं थी। पढ़ने के समय पढ़ता खेलने के समय खेलता।
उसको रोज जेब खर्च के लिए पैसे मिलते थे। जिसे वह अपनी गुल्लक में डाल देता था।
उसकी इस बेकार न खर्च करने की आदत उसके माता-पिता भी जानते थे।
पर इधर कुछ दिनों से माँ को बड़ी हैरानी हो रही थी। अमिताभ अक्सर उनसे अधिक पैसे की माँग करता। बचत करना भी छोड़ दिया था। उसकी गुल्लक खाली हो गई थी।
सबसे बड़ी बात तो ये थी इन दिनों वह अक्सर शाम को घर भी देर से आता था।
माँ को शंका हुई कहीं वह बुरी संगत में तो नहीं पड़ गया। आखिर रोज अधिक पैसे माँगने और देर से आने का कारण क्या है? माँ ने अपनी शंका उसके पिता कोे भी बताई।
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पिता जी ने अमिताभ को बुलाकर प्रेम से पूछा। पर अमिताभ बराबर यही कहता रहा, ‘ऐसी कोई बात नहीं है, पिता जी, आप बेकार शंका करते हैं। मैं कोई गलत काम नहीं कर रहा हूँ।
पिता जी को गुस्सा आ गया। उन्होंने उसे पीट दिया। वह रोता हुआ चला गया।
उस दिन से उसने पैसे माँगना बिल्कुल बंद कर दिया। पर देर से घर आने की आदत में कोई परिवर्तन नहीं आया।
समय बीतता गया। वार्षिक परीक्षाएं हुई। माँ को तो बहुत चिन्ता थी पर जब परिणाम निकला तो वे आश्चर्य चकित रह गई अमिताभ इस बार फिर प्रथम आया था। उसकी गलत आदतों के कारण वे बहुत डर रहीं थीं। पर उनकी सारी शंका निर्मूल निकली उन्होंने उसे छाती से लगा लिया।
माँ जानती हैं असलम द्वितीय आया है।
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ये चौथी बार था जबकि अमिताभ ने कहा था, असलम द्वितीय आया है। माँ ने कहा, क्या बात है आज असलम की बहुत तारीफ हो रही है, ये असलम कौन है?
असलम मेरा दोस्त है।
इस वर्ष स्कूल में नया आया है। वह बहुत गरीब है। उसके पिता नहीं हैं, माँ उसे पढ़ाने के लिए बहुत मेहनत करती है। असलम भी बहुत परिश्रमी है। किसी को विश्वास नहीं था वो द्वितीय आयेगा। लेकिन उसकी मेहनत रंग लाई।
कहते कहते अमिताभ का चेहरा चमक उठा।
लेकिन तुम्हारे सहयोग के बिना असलम अपनी इस सफलता की कल्पना भी नहीं कर सकता था।
माँ और अमिताभ ने चैंक कर देखा, दरवाजे पर असलम खड़ा था, अमिताभ ने माँ को बताया, यही है मेरा दोस्त असलम।
माँ प्यार से उसे अन्दर ले आई। असलम ने झुक कर माँ के चरण छू लिये, चाची अगर अमिताभ मेरी सहायता न करता तो द्वितीय श्रेणी में पास होने की बात तो दूर मैं पास होने की भी आशा नहीं करता था। शायद मेरी पढ़ाई ही छूट चुकी होती।
असलम की आँखों में आँसू आ गये, मेरी माँ बहुत गरीब है। वो मेरी पुस्तकें भी नहीं खरीद सकती। अमिताभ ने अपने पैसों से मेेरे लिए किताबें खरीदीं, मेरी फीस जमा कराई यही नहीं पढ़ाई में भी मेरी मदद की.... मैं... मैं आप लोगों का ये एहसान।
अमिताभ ने उसके मुँह पर हाथ रखते हुए कहा, एहसान की बात करके दोस्ती को गाली न दो।
माँ ने प्यार से दोनों को गले लगा लिया। अमिताभ का देर से घर आना, अधिक पैसे माँगने का रहस्य उनकी समझ में आ गया था।
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