मजेदार हिंदी कहानी: तितली रानी बड़ी सयानी

सुमित पूरे चार महीने के बाद अपने दादा-दादी के पास आया था। पर दादा-दादी एक बात से बहुत परेशान थे कि जबसे वह आया है तब से या तो वीड़ियो गेम खेलता रहता है या फिर टीवी पर कार्टून्स देखता रहता है।

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तितली रानी बड़ी सयानी

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मजेदार हिंदी कहानी: तितली रानी बड़ी सयानी:- सुमित पूरे चार महीने के बाद अपने दादा-दादी के पास आया था। पर दादा-दादी एक बात से बहुत परेशान थे कि जबसे वह आया है तब से या तो वीड़ियो गेम खेलता रहता है या फिर टीवी पर कार्टून्स देखता रहता है।

दादी ने शिकायत भरे स्वर में दादा से कहा, “ऐसे तो हमारा प्यारा पोता बीमार हो जाएगा और उसकी आँखों पर मोटा चश्मा चढ़ जाएगा”। 

“तुम चिंता मत करो मैंने एक तरकीब सोची है जिससे उसका टीवी देखना और वीड़ियो गेम खेलना बहुत कम हो जाएगा”। दादा बोले।

अगले दिन सुबह जब सुमित अपने दादा-दादी से साथ नाश्ता कर रहा था तब दादा बोले, “बेटे, हमने तुम्हारे लिए बाहर बगीचे में एक सुंदर सा गिफ्ट रखा था”। यह सुन सुमित बहुत खुश हो गया और कहने लगा, “कहाँ रखा है दादाजी?”

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दादा-दादी मुस्कुराने लगे। “बेटा, वह तुम्हें खुद ही ढूँढना पड़ेगा”। सुमित ने जल्दी से दूध का गिलास खत्म किया और बाहर...

दादा-दादी मुस्कुराने लगे। “बेटा, वह तुम्हें खुद ही ढूँढना पड़ेगा”। सुमित ने जल्दी से दूध का गिलास खत्म किया और बाहर बगीचे की ओर भागा। वह घास, झाड़ी और फुलवारी में अपने छुपे उपहार को ढूँढने लगा। 

“क्या तुम मुझे ढूंढ रहे हो?” पास के फूल पर बैठी एक तितली ने कहा। 

सुमित आश्चर्य से तितली की तरफ देखने लगा। “क्या तुम मुझे जानती हो?” सुमित बोला। “हाँ, कल दादाजी ने मुझसे बोला था कि मैं तुम्हारी दोस्त बन जाऊँ, क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे?” तितली ने कहा।

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“हाँ, पर मैं तो तुम्हारे बारे में कुछ जानता ही नहीं”। सुमित ने कहा। 

“तो सुनो,” तितली बोली “मैं पहले एक पेड़ पर एक कोकून में रहती थी”।  

“कोकून! वह क्या होता है?” सुमित ने पूछा।

“मुझे शुरू से समझाने दो”। तितली ने जोर से सांस ली। “हम तितलियाँ अंडों से एक कैटरपिलर के रूप में बाहर निकलती हैं। हम छोटी-छोटी पत्तियाँ खाकर अपना गुजारा करती हैं। हमारे शरीर से एक तरल धागे जैसा पदार्थ निकलता है जिसे हम अपनी सुरक्षा के लिए हमारे शरीर के चारों ओर लपेट लेती हैं उसे कोकून कहते हैं और कुछ समय उसी में बिता कर, तितली के रूप में बाहर निकलती हैं। हमारे रंग-बिरंगे पंखों से हम एक फूल से दूससे फूल पर बैठती हैं और उनका रस पीती हैं”।

सुमित को यह जानकारी एक परी की कहानी जैसी लगी। तब तक तितली उड़ी और सुमित के सिर पर बैठ गयी। यह देख वह जोर जोर से हँसने लगा। सुमित को तितली का साथ अच्छा लग रहा था और उसे अब एक नयी दोस्त मिल गयी थी। उसने बगीचे में तितली के साथ खूब पकड़म-पकड़ी खेली।  

थोड़ी देर बाद जब दादा-दादी बगीचे में आए तो उन्हें तसल्ली हुई कि उनका पोता अब खुली हवा में खेल कर स्वस्थ बनेगा और उसका टीवी और वीडियो गेम खेलना कम हो जाएगा।

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