मजेदार हिंदी कहानी: राम जी का डिब्बा किसी शहर के एक मोहल्ले में एक बूढ़ी औरत बिलकुल अकेले रहती थी। मोहल्ले में सभी उन्हें ताई जी कहते थे। वे एक बेवा थीं और उनकी आवश्यकताएं न्यूनतम थीं। By Lotpot 16 Jul 2024 in Stories Fun Stories New Update राम जी का डिब्बा Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 मजेदार हिंदी कहानी: राम जी का डिब्बा:- किसी शहर के एक मोहल्ले में एक बूढ़ी औरत बिलकुल अकेले रहती थी। मोहल्ले में सभी उन्हें ताई जी कहते थे। वे एक बेवा थीं और उनकी आवश्यकताएं न्यूनतम थीं। उनका गुजारा मकान के एक हिस्से के किराये से हो जाता था इसके अतिरिक्त उनका पति कुछ धन राशि छोड़ गया था जो उनके गुजारे के लिए पर्याप्त हो जाती थी। ताई जी बड़े धार्मिक बिचारों वाली थीं। उनके पास धन का अभाव था किन्तु वे सदा जरूरत मन्द गरीबों की मदद के लिए तैयार रहती थीं। मोहल्ले में अधिकतर मध्यम वर्गीय परिवार थे। सभी के घर महीने के अन्तिम दिनों में अभाव की स्थिति रहती थी। एक दूसरे से उधार मोहल्ले के सभी परिवारों की सामान्य प्रक्रिया थी। एक कटोरी शक्कर या घी या चावल का लेन देन बराबर चलता रहता था। महीने के पहले सप्ताह में सारे उधार चुका दिए जाते थे। घरों में पैसे की तंगी हमेशा लगी रहती थी किन्तु उधार देने की सामर्थ्य किसी परिवार में भी नहीं था। सभी को ताई जी का सहारा था। ताई जी ने कमरे के एक कोने में एक छोटा मन्दिर बना रखा था और वहीं एक डिब्बा रखा रहता था उस डिब्बे में सदा ही... ताई जी ने कमरे के एक कोने में एक छोटा मन्दिर बना रखा था और वहीं एक डिब्बा रखा रहता था उस डिब्बे में सदा ही कुछ रूपये और सिक्के पड़े रहते थे। कोई भी ताई जी से उधार ले सकता था किन्तु वे कभी अपने हाथ से नहीं देती थीं। जब भी कोई गृहणी उधार मांगने आती, ताई जी कह देतीं, “मन्दिर में राम जी का डिब्बा रखा है अपनी जरूरत के अनुसार उसमें से ले लो। सुविधानुसार वापस कर देना। राम जी हमारे परिवार की रक्षा करते हैं, उनका धन्यवाद करो मेरा नहीं” डिब्बे से उधार लिए गए पैसे हमेशा पूरे के पूरे वापस आ जाते थे। एक दिन एक बड़ी अनहोनी घटना हुई। ताई जी ने देखा कि राम जी का डिब्बा बिलकुल खाली पड़ा है उन्हे चिंता हो गई, “अब मैं किसी जरूरतमन्द गृहणी की मदद कैसे कर पाऊँगी?ताई जी के पास कोई आभूषण नहीं थे केवल एक हाथ मे चार चांदी की चूड़ियाँ पड़ी रहती थीं। वे पड़ोसी सुनार के घर गईं और उसकी पत्नी से कहा कि चूड़ियाँ गिरवी रख ले और उन्हें कुछ रूपये उधार दे दे। पत्नी इस प्रकार का व्यवहार नहीं करती थी किन्तु ताई जी को मना नहीं कर सकी। रूपये ला कर ताई जी ने तुरंत राम जी के डिब्बे में डाल दिये। सुनार की पत्नी के माध्यम से सारे मोहल्ले में इस घटना की खबर आग की तरह फैल गई। सभी गृहिणियाँ इस बात से बहुत दुखी थीं कि ताई जी को अपनी चूड़ियाँ गिरवी रखनी पड़ी ताकि उनकी सहायता मे कोई कमी न हो पाए। एक-एक करके मोहल्ले की सभी गृहिणियाँ ताई जी के घर आईं और कुछ सिक्के राम जी के डिब्बे में डाल गईं। और फिर आखों में आंसू भरे एक गृहणी आई और कहने लगी, “मैंने सारे पैसे निकाले हैं पर मुझे इस राज की सजा मिल चुकी है। मेरे पुत्र की टांग की हड्डी टूट गई है और वह दर्द से चिल्ला रहा है मैं भी बहुत दुखी हूं। मैं उधार के पैसे डिब्बे में डाल रही हूं। आप मेरे परिवार के लिए प्रार्थना करें राम जी आप की बात जरूर सुनेंगे”। और फिर शाम को पड़ोसी सुनार आया “मेरी पत्नी ने मुझे आदेश दिया है कि मैं आपकी चूड़ियां वापस कर दूं और जो पैसे उसने आप को दिये हैं वह राम जी के डिब्बे में डाल दूं” उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और उसने छलकती आंखो से चूडियां ताई जी के हाथ पर रख दीं। इस घटना के बाद फिर कभी राम जी का डिब्बा खाली नहीं हुआ। यह भी पढ़ें:- मजेदार हिंदी कहानी: दूल्हे का पायजामा हिंदी मजेदार कहानी: सही पहचान हिंदी जंगल कहानी: मक्खी और हाथी हिंदी प्रेरक कहानी: प्रार्थना और भगवान #Hindi Bal Kahani #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #मजेदार हिंदी कहानी #short hindi stories for kids #Hindi Fun Story #bachon ki majedar hindi kahani You May Also like Read the Next Article