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दूल्हे का पायजामा
मजेदार हिंदी कहानी: दूल्हे का पायजामा:- नरेश के विवाह की सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकीं थीं। उसने एक नयी शेरवानी अनिवार्यता बनवाई थी। जब वह अपने कपड़ों को चैक कर रहा था तभी अक्समात उसे पता लगा कि एक वस्त्र तो वह भूल ही गया है। उसने कोई नया पायजमा नही सिलवाया था और पुराने पायजामे नई शेरवानी के साथ मैच नहीं कर रहे थे। बचे हुये थोड़े से समय में नया पायजामा सिलवाना संभव नहीं था। और इस गम्भीर परिस्थिति में उसका मित्र प्रताप उसकी मदद के लिये आगे आया।
‘‘मेरे पास एक नया पायजामा है, तुम उसका प्रयोग नि:संकोच कर सकते हो”। शाम को लड़की वालों के घर से लगन लेकर कुछ लोग आए। सभी मेहमानों पर नई सुन्दर शेरवानी का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा। प्रताप भी शेरवानी के प्रशंसकों में जुड़कर कह बैठा, “शेरवानी सुन्दर है किन्तु यह पायजामा इनका नहीं मेरा है”।
सभी लोग हंस पड़े। बात आई गई हो गई पर नरेश को बुरा लगा। उसने कहा, “आगे से किसी भी अवसर पर...
सभी लोग हंस पड़े। बात आई गई हो गई पर नरेश को बुरा लगा। उसने कहा, “आगे से किसी भी अवसर पर पायजामे की बात मत करना। मुझे बहुत शर्मिन्दिगी होती है”। अगले दिन बारात वधु के द्वार पर पहुंची। मेहमानों की खूब खातिर हुई और सभी ने शेरवानी की प्रशंसा भी की। प्रताप से नहीं रूका गया वह बोल पड़ा, “शेरवानी निश्चय ही बहुत सुन्दर है और साथ ही पायजामा भी बहुत सुन्दर है” अकेले में नरेश ने फिर एक बार प्रताप को समझाया, “आगे से पायजामे के बारे में कोई भी टिप्पणी मत करना”।
बारात के लौटने का समय आया। दूल्हा-दूल्हन साथ साथ निकले तो किसी बाराती के मुंह से निकल पड़ा, “जोड़ी कितनी सुन्दर है जैसे दुल्हन की चुनरी और दूल्हे की शेरवानी” प्रताप से नहीं रहा गया। वह बोल पड़ा, “शेरवानी तो सुन्दर है ही मगर पायजामे के बारे में मैं कोई टिप्पणी नही करूंगा”।
नरेश की प्रतिक्रिया ढोल ढमाकों की आवाज में पूरी तरह दब गयी। नरेश ने कसम खा ली कि आगे से कभी पायजामा नहीं मांगूगा किसी से।