हिंदी मजेदार कहानी: गोल-गोल रसगुल्ले मई की पच्चीस तारीख, शाम के पांच बजे पिद्दी पहलवान यानी पदमश्री लाल अपने परम मित्र हलवाई पुराणमल की दुकान पर आकर बैठ गये। अभी-अभी वे धन्नूमल के अखाड़े से कुश्तियां देख कर आ रहे थे। By Lotpot 24 May 2024 in Stories Fun Stories New Update गोल-गोल रसगुल्ले Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 हिंदी मजेदार कहानी: गोल-गोल रसगुल्ले:- मई की पच्चीस तारीख, शाम के पांच बजे पिद्दी पहलवान यानी पदमश्री लाल अपने परम मित्र हलवाई पुराणमल की दुकान पर आकर बैठ गये। अभी-अभी वे धन्नूमल के अखाड़े से कुश्तियां देख कर आ रहे थे। पुराणमल एक बुढ़िया के लिए रसगुल्ले तोल रहा था। पिद्दी पहलवान की आंखें रस भरे रसगुल्लों पर जम गईं। बुढ़िया पूरे साढ़े सात सौ ग्राम रसगुल्लों को तीन कुल्हड़ों में भर कर ले गई। बुढ़िया के निकल जाने के बाद पिद्दीमल के मुंह से शब्द निकले। "वो यार, ये रसगुल्ले कैसे दिये हैं?" "चार सौ रूपये किलो"। पुराणमल ने अपनी एक बंद आंख को खोलकर कहा। (Fun Stories | Stories) "यार, लेने तो मैंने भी हैं"। पिद्दी पहलवान ने अपने मुंह से टपकती लार को टपकने से बचाते हुए कहा- "पर बात यह है कि मेरी जेब खाली है"। "तो पहलवान पैसे की...." पुराणमल अपनी बात कहते-कहते रूक गया। वह कहने लगा था- पहलवान पैसों की क्या बात है, बाद में आ जायेंगे। पर उसे पहलवान के पहले के 740 रुपयों का ध्यान आया जो पहलवान ने अभी तक नहीं दिये थे। उधर पिद्दी पहलवान ने अपनी दोनों जेबें बाहर उलट ली थीं कि शायद कोई भूला-भटका रूपया-पैसा हो तो काम बन जाए। पर कुर्ते में पैसे तो कया पैसों की धूल भी नहीं पड़ी थी। "और फिर पहलवान, आज अखाड़े में किसकी जीत हुई?" पुराणमल ने पूछा। रसगुल्ले...रसगुल्ले... रसगुल्ले, पिद्दी पहलवान के दिमाग में रसगुल्ले ही घूम रहे थे। उन्होंने अपनी विचार धारा को रोकते हुए कहा- "अ,आं, हां हां। जीता तो वो करोड़ीमल का जो लड़का है न दिवंगत दास, वो। उसके साथ गीलू राम लड़ रहा था"। "अच्छा तो दिवंगत दास जीत गया"। पुराणमल खुश हो गया। (Fun Stories | Stories) उसकी खुशी का कारण यह था कि दिवंगत दास हर रोज़ अखाड़े से लौटने के बाद उसकी दुकान से आधा किलो दूध पीता था। "यार पुराणमल यह रसगुल्ले कैसे बनते हैं?" पिद्दी पहलवान असली बात पर आये। "पहलवान, सीधी सी बात है"। पुराणमल ने कहना शुरू किया- "सबसे पहले दूध को फाड़ लो। फिर उसे गर्म करके काढ़ लो और थोड़ा सा मैदा मिलाकर गोल-गोल गोलियां बना लो। फिर उनको घी में तलने के लिए छोड़ दो। फिर चीनी की चाशनी बना कर उसमें थोड़ी सी खुशबू मिला लो जब फटे दूध वाली गोलियां थोड़ी पक जाएं तो उनको चाशनी में डाल दो। जब रसगुल्लों में रस मिल जाये तो उन्हें ठंडा कर लो और ठंडा होने पर रसगुल्ले तैयार। "बस" पिद्दी पहलवान को यह बात बहुत छोटी सी बात लगी। "और नही तो क्या पहाड़ खोदना पड़ता है। रसगुल्ले बनाने के लिए? है है है!" पुराणमल ने हंस कर कहा। (Fun Stories | Stories) और इस सारी विधि को बांध कर पिद्दी पहलवान चले घर की ओर। घर में घुसते ही पिद्दी पहलवान ने देखा कि उनकी श्रीमती जी और उनका सुपुत्र टिल्लम कहीं जाने की तैयारी कर रहे हैं। टिल्लम अपने जूते पॉलिश कर रहा था और उसकी मां अपनी प्लास्टिक की चप्पल को एक गीले कपड़े से चमकाने का प्रयत्न कर रही थी। "आ गये आप कुश्ती देखकर" टिल्लम की मां ने पूछा। "हां पर तुम दोनों कहां थे"। "लो, तुम इस मरी कुश्ती में यह भी भूल गये कि आज मेरे भतीजे का जन्मदिन है"। टिल्लम की मां ने अपनी बत्तीसी चमकाते हुए कहा। पिद्दी पहलवान रसोई में पहुंचे, पर उन्हें अचानक कुछ याद आया और वे फिर कमरे में लौट आए। मशीन में से... पिद्दी पहलवान रसोई में पहुंचे, पर उन्हें अचानक कुछ याद आया और वे फिर कमरे में लौट आए। मशीन में से कैंची निकाली और फिर रसोई की ओर बढ़ चले। रसोई में दूध की दोनों बोतलें बिना खुले ही पड़ीं थीं। पिद्दी पहलवान ने दोनों बोतलें पतीले में उलटाई और रसगुल्ले बनाने की तैयारी करने लगे। (Fun Stories | Stories) "हां, तो पहले दूध को फाड़ना है!" पिद्दी पहलवान ने मन ही मन सोचा और गुनगुनाते हुए दूध में कैंची चलाने लगे। दस मिनट तक कैंची चलाने के बाद उन्होंने देखा कि दूध तो अभी तक वैसे का वैसा ही पड़ा है। उसका फटना तो क्या, उसमें खरोंच तक नहीं आई। पिद्दी पहलवान हैरान हो गये कि अब किया जाए तो क्या किया जाए। पुराणमल ने तो यही कहा था कि पहले दूध को फाड़ना है। कैंची से तो फटा नहीं, शायद ब्लेड से फट जाए। वे ब्लेड लेने के लिए कमरे की ओर जाने ही लगे थे कि टिल्लम और टिल्लम की मां ने रसोई में प्रवेश किया। "हाँ जी, मैं जा रही हूं। रात तक लौटूंगी"। टिल्लम की मां ने कहा। फिर जब उसने दूध में कैंची पड़ी देखी तो हैरानी से बोली, "जी ये दूध में कैंची क्या कर रही है? अगर दूध में पानी मिला हो तो कैंची को जंग न लग जायेगा"। "मैं कैंची से दूध को फाड़ रहा हूं। पर कम्बखत फटता ही नहीं। शायद ब्लेड से फट जाए"। पिद्दी पहलवान ने शर्माते हुए उत्तर दिया। टिल्लम की मां ने सिर पर हाथ मार कर बोला, "लो दूध भी कभी ऐसे फटता है। पर दूध फाड़ कर करना क्या है?" "हे हे हे! रसगुल्ले बनाऊंगा जब तुम वापिस आओगे तो खिलाऊंगा"। पिद्दी पहलवान ने दांत निकाले। (Fun Stories | Stories) "तुम्हारे रसगुल्ले तुम्हें ही मुबारक"। टिल्लम की मां बोली, "तुम तो बना चुके रसगुल्ले, कहीं कैंची से भी दूध फटता है। तुम तो दूध को ही खराब कर लोगे। दूध को तो किसी खट्टी चीज से फाड़ते हैं"। कहती-कहती टिल्लम की मां टिल्लम को साथ लिए बाहर निकल गई। पिद्दी पहलवान उछल पड़े "एक सिरा तो हाथ लगा"। फिर उन्होंने मैदा ढूंढ निकाला। डिब्बे को खरोंचने के बावजूद केवल दो चम्मच घी निकला। हनुमान जी की कृपा से घर में राशन की चीनी तो थी ही। पिद्दी पहलवान ने बर्तनों वाली अलमारी में नजर मारी कड़ाही कहीं भी नजर न आई पिद्दी पहलवान समझ गये कि कड़ाही कोई आस-पड़ोस वाली ले गई होगी। अब पिद्दी पहलवान पशोपेश में पड़ गये। वे करें तो कया करें? सामने घी, चीनी, दूध और अन्य चीजें तो थीं पर घर में से कड़ाही गायब थी। पुराणमल ने तो दूध की गोलियों को कड़ाही में ही तलने को कहा था। शायद अन्य किसी बर्तन में न तलने हों। तभी पिद्दी पहलवान के दिमाग में एक आईडिया आया। रसगुल्ले तो खाने ही हैं और बाद में जाने भी पेट में हैं। तब क्यों न पेट में ही रसगुल्ले बना लिए जाएं। (Fun Stories | Stories) सबसे पहले पिद्दी पहलवान ने दूध को फाड़ने के लिए खटाई दूंढी टिल्लम के बस्ते में कुछ कच्ची अमिया मिलीं जो वह स्कूल से लौटते वक्त हीरे मल के बाग से तोड़ लाया था। फिर पिद्दी पहलवान ने स्टोव जलाकर उस पर चाशनी बनाने के लिए रखी। फिर पड़ोसियों के लॉन में जाकर सुगंध डालने के लिए चमेली के फूल तोड़ लाए। चाशनी में चमेली के फूल डालने के बाद स्टोव पर घी गर्म किया। अब वे रसगुल्ले बनाने के लिए तैयार हो गए। पिद्दी पहलवान ने पुराणमल वाली विधि को एक क्षण के लिए स्मरण किया और दो बोतल दूध मुंह में उलटा लिया, कैंची से दूध फटा नहीं था इसलिए दो कच्ची अमियाँ खाई ताकि पेट में जाकर दूध फट जाए। फिर मैदे को मुंह में गिराया अब मैदा और फटा हुआ दूध तो तैयार था, और उनकी गोलियां बनानी थीं, इसलिए पिद्दी पहलवान झूम-झूम कर अपने पेट को गोल-गोल घूमाने लगे। पंद्रह मिनट तक वैसे ही हिलाने के बाद जब पहलवान को विश्वास हो गया कि अब तो गोलियां बन ही गई होंगी, उन्होंने गरम गरम घी की कटोरी मुंह में उलटा ली। अब घी और रसगुल्ले के लिए गोलियां तो पेट में पहुंच ही चुकी थीं। पर उनको तलना बाकी रह गया था, इस लिए पिद्दी पहलवान ने स्टोव को तेज़ किया और अपने पेट को आगे करके स्टोव के पास ऐसे खड़े हो गए कि पेट स्टोव के ऊपर रहे। थोड़ी देर तक तो पिद्दी पहलवान स्टोव के ऊपर ही खड़े रहे पर जब आग की गर्मी असहनीय हो गई तो अंत में पिद्दी पहलवान को वहां से हटना पड़ा। पर तब तक पिद्दी पहलवान समझ गए कि दूध की गोलियां अच्छी तरह से, तल गई होंगी। फिर पिद्दी पहलवान ने दुबारा पुराणमल द्वारा बताई गई विधि को याद किया और उन्हें अंत में याद आ ही गया कि तली हुई गोलियों को चाशनी में छोड़ना है। गोलियां तो पेट में तली ही जा चुकी थीं और अब तो बस चाशनी की देर थी। पिद्दी पहलवान ने झट-पट बनाई हुई चाशनी पेट में उतार ली। अब उन बनाये गये रसगुल्लों को ठंडा भी करना था। इसलिए पिद्दी पहलवान भागे बाजार की ओर। नत्थू पनवाड़ी की दुकान से तीस रूपए की बर्फ ली और उसे कचर-कचर करके दांतों से चबा गये। अब रसगुल्ले पूरी तरह से बन चुके थे। वे पक भी चुके थे, उनमें रस भी भर चुका था और वे ठंडे भी हो चुके थे लेकिन पेट में ही। (Fun Stories | Stories) अब पिद्दी पहलवान खुशी-खुशी घर लौटे वे खुश इस बात पर थे कि उन्होंने बिना कुछ अधिक खर्च किये, सिवाये तीस रूपए के, उतने ही रसगुल्ले खाये थे, जितने कि पुराणमल चार सौ रूपयों में दे रहा था। पर तभी पिद्दी पहलवान को ध्यान आया कि उन्होंने कुछ रसगुल्ले टिल्लम और उसकी मां के लिए भी रखने थे। अगर टिल्लम की मां ने उनसे रसगुल्लों के बारे में पूछा तो... ! यह सब सोचते-सोचते पिद्दी पहलवान घर की ओर बढ़ चले। घर में घुसते ही उनके पेट में दर्द उठना शुरू हुआ और फिर उल्टी! थोड़ी ही देर पहले पिद्दी पहलवान द्वारा पेट में ही बनाए गोल-गोल रसगुल्ले पिद्दी पहलवान के सामने बाहर पड़े थे। इधर पेट में दर्द उठना शुरू हो गया था और उधर पिद्दी पहलवान को हलवाई पुराणमल पर गुस्सा आना शुरू हो गया था- कम्बख्त को रसगुल्ले भी नहीं बनाने आते। शायद मेरी ही तरह अन्य लोगों को भी पुराणमल के बनाये रसगुल्ले खाकर उल्टी आ जाती होगी। दर्द से बेचैन होकर पिद्दी पहलवान पलंग पर जा गिरे। जब उनकी आंख खुली तो बाहर सड़क की बत्तियां जल चुकी थीं और अंदर कमरे में टिल्लम की मां हाथ में एक डिब्बा पकड़े उनकी ओर बढ़ी आ रही थी। "ये क्या है?" उनींदी आंखों से यह कहने के लिए पिद्दी पहलवान ने मुंह खोला ही था कि उनके मुंह में कुछ गोल-गोल फंस गया। "खाकर तो देखो!" टिल्लम की मां ने कहा- "रसगुल्ले हैं, मेरे भाई ने तुम्हारे लिए भेजे हैं। पिद्दी पहलवान ने लेटे ही लेटे गप से मुँह मारा और रसगुल्ला पेट में पहुंच गया। पेट का दर्द कस्तूरी की भांति काफूर हो गया। उन्होंने झटपट तीन रसगुल्ले मुंह में रखे, पलंग से नीचे कूदे और पैरों में जूते डाल कर झटपट पुराणमल की दुकान की ओर बढ़ चले- उसके द्वारा बताई गई विधि के लिए उसे लताड़ने। (Fun Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Bal Kahani in Hindi | Best Hindi Bal kahani | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | bachon ki hindi kahaniyan | majedaar hindi kahani | bachon ki hindi kahani | hindi kahani | bachon ki kahani | short fun story | short fun story in hindi | short stories in Hindi | kids short stories in hindi | short stories for kids in hindi | short stories for kids | Kids Hindi Fun Story | kids hindi fun stories | kids hindi stories | Kids Hindi Story | kids hindi kahani | kids hindi kahaniyan | hindi fun stories for kids | best hindi fun stories | Hindi fun stories | fun stories in hindi | kids fun stories in hindi | kids stories in hindi | Hindi Kids Stories | majedaar bal kahani | bachon ki majedaar kahani | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | मज़ेदार बाल कहानी | मजेदार बाल कहानी | बच्चों की बाल कहानी | बाल कहानियां | बाल कहानी | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बच्चों की हिंदी कहानी | मजेदार हिंदी कहानी | बच्चों की हिंदी मज़ेदार कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | मज़ेदार छोटी कहानी | छोटी हिंदी कहानियाँ | बच्चों की छोटी हिंदी कहानी यह भी पढ़ें:- बच्चों की मजेदार हिंदी कहानी: दिल का भ्रम Fun Story: काला गुलाब Fun Story: जुगाड़ Fun Story: सबसे बड़ी चीज़ #Hindi Kahani #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Kids Hindi Story #Bal Kahaniyan #Hindi Kids Stories #Hindi Bal Kahani #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #Hindi fun stories #kids hindi stories #kids hindi fun stories #Hindi Bal Kahaniyan #Best Hindi Bal kahani #best hindi fun stories #बाल कहानियां #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ #hindi fun stories for kids #बच्चों की हिंदी कहानियाँ #हिंदी मजेदार कहानी #kids fun stories in hindi #short stories for kids #Kids Hindi Fun Story #मजेदार हिंदी कहानी #short stories for kids in hindi #kids short stories in hindi #short stories in Hindi #बच्चों की हिंदी कहानी #छोटी हिंदी कहानियाँ #kids stories in hindi #short fun story in hindi #short fun story #majedaar hindi kahani #मजेदार बाल कहानी #मज़ेदार छोटी कहानी #Bal Kahani in Hindi #बच्चों की हिंदी मज़ेदार कहानी #bachon ki hindi kahani #बच्चों की बाल कहानी #बच्चों की छोटी हिंदी कहानी #bachon ki hindi kahaniyan #मज़ेदार बाल कहानी #bachon ki kahani #kids hindi kahani #kids hindi kahaniyan #fun stories in hindi #majedaar bal kahani #bachon ki majedaar kahani You May Also like Read the Next Article