Jungle Story: अक्लमंद खरगोश चंपक वन का राजा शेर सिंह और श्यामल भालू दोनों मित्र थे। दोनों की मित्रता इतनी गहरी थी कि बगैर एक दूसरे को देखे चैन नहीं पड़ता था। एक दिन श्यामल भालू, राजा शेर सिंह के पास नहीं जा सका। By Lotpot 15 Apr 2024 in Stories Jungle Stories New Update अक्लमंद खरगोश Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Jungle Story अक्लमंद खरगोश:- चंपक वन का राजा शेर सिंह और श्यामल भालू दोनों मित्र थे। दोनों की मित्रता इतनी गहरी थी कि बगैर एक दूसरे को देखे चैन नहीं पड़ता था। एक दिन श्यामल भालू, राजा शेर सिंह के पास नहीं जा सका। उसके नहीं आने से, वह तड़प कर रह गया। (Jungle Stories | Stories) अगले दिन, श्यामल भालू जब राजा शेर सिंह के पास पहुंचा तो वह, उसे प्यार भरी झिड़की देने लगा- "तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी श्यामल जबकि तुम अच्छी तरह से जानते हो कि मैं, तुम्हारे बगैर एकपल भी अकेला नहीं रह सकता। कल क्यों नहीं आये?" "क्या बताऊं मित्र, कल मेरी तबियत अचानक ही खराब हो गई थी इसलिए मैं नहीं आ सका"। थके स्वर में श्यामल भालू ने कहा। (Jungle Stories | Stories) "क्या? कल तुम्हारी तबियत खराब हो गई थी और मुझे पता तक नहीं चला? तुमने, किसी से खबर क्यों नहीं भिजवाई?" आश्चर्य से राजा शेर सिंह ने पूछा। "किसको खबर भिजवाता मित्र? मेरा तो इस दुनिया में तुम्हारे सिवाय कोई है ही नहीं। वैसे भी, अब मेरा शरीर थक गया है। कोई काम-धाम भी होता नहीं और न ही चला-फिरा जाता है"। दुखी स्वर में श्यामल भालू ने कहा। ओह तो तुमने ये सब बातें, पहले क्यों नहीं बताई? मैं, तुम्हारी सेवा के लिए कोई न कोई व्यवस्था कर देता। खैर, मैं आज ही... "ओह तो तुमने ये सब बातें, पहले क्यों नहीं बताई? मैं, तुम्हारी सेवा के लिए कोई न कोई व्यवस्था कर देता। खैर, मैं आज ही, अपने विभिन्न विशेष सेवकों में से, इक्कीस सेवकों को, तुम्हारी सेवा के लिए नियुक्त कर देता हूं जो मुझे, पल-प्रतिपल तुम्हारी कुशलता का समाचार देते रहेंगे"। राजा शेर सिंह ने कहा। (Jungle Stories | Stories) "जैसी इच्छा मेरे मित्र की"। राजा शेर सिंह ने फौरन ही ताली बजाई और वहां कई सेवक उपस्थित हो गये। "क्या हुक्म है महाराज?" सिर झुकाते हुए, सेवकों ने पूछा। "हुक्म यह है कि मेरे मित्र श्यामल भालू की सेवा में, तुम सबको चौबिस घंटे रहना होगा और पल-प्रतिपल मुझे, इनके स्वास्थ्य की सूचना देते रहना होगा लेकिन एक शर्त भी है मेरी?" "शर्त? कैसी शर्त है महाराज?" (Jungle Stories | Stories) "शर्त यह है कि मेरे मित्र श्यामल भालू की मृत्यु की सूचना लेकर तुम लोग कभी भी मेरे पास नहीं आओगे अन्यथा मैं बर्दाशत नहीं कर पाऊंगा और सूचना देने वाले को, जिन्दा ही दफन करवा दूंगा"। क्रोध से उबलते हुए, महाराज शेर सिंह ने कहा। शर्त को सुन कर, सभी सेवक कांप उठे फिर भी उन्होंने डर के मारे 'हां' कर दी। अब श्यामल भालू आराम की जिन्दगी बसर करने लगे। ऐसा करते हुए उसे वर्षों गुजर गये। अब तो धीरे-धीरे, उसका स्वास्थ्य भी गिरने लगा। यही नहीं, वह अक्सर बीमार पड़ने लगा और एक दिन, अचानक ही उसकी मृत्यु हो गई। (Jungle Stories | Stories) उसकी मृत्यु को देख, सभी सेवक भय से कांप उठे कि इसकी सूचना देने के लिए महाराज शेर सिंह के पास कौन जायेगा? भेड़िये ने सियार से कहा, सियार ने बन्दर से कहा और बन्दर ने लकड़बग्घे से कहा कि महाराज शेर सिंह के पास, श्यामल भालू की मृत्यु की सूचना लेकर तुम चले जाओ परन्तु कोई भी सेवक, इसके लिए तैयार नहीं हुआ। लेकिन बंटी खरगोश सूचना देने के लिए तैयार हो गया। उसे तैयार होते देख, सभी जानवर हंस पड़े और उसका मजाक उड़ाने लगे। "जाओ-जाओ, शायद तुम्हारी शामत आ गई है। खबर सुनते ही महाराज शेर सिंह, तुम्हें कच्चा ही चबा जायेंगे"। "ठीक है भाई, जब मेरी किस्मत में महाराज शेर सिंह का ग्रास बनना ही लिखा हुआ है तो तुम लोगों की जीवन-रक्षा के लिए, मैं ही, उनका ग्रास बन जाऊंगा कम से कम, तुम लोगों का जीवन तो सुरक्षित बच जायेगा"। उसकी बातें सुन, सभी आवाक् से रह गये। "महाराज की जय हो...महाराज की जय हो..." बंटी ने कहा। (Jungle Stories | Stories) "अरे बंटी तुम? मेरा मित्र श्यामल कैसा है? कुशल से तो है न?" उत्सुकता से महाराज शेर सिंह ने पूछा। "हां महाराज वह बिल्कुल कुशल से हैं सिर्फ स्वास्थ्य में थोड़ा परिवर्तन हुआ है"। बंटी ने कहा। "स्वास्थ्य में? क्या हुआ उसे?'' आश्चर्य से महाराज शेर सिंह ने पूछा। "हुआ तो कुछ नहीं महाराज लेकिन आपके मित्र, न तो कुछ खाते हैं और न ही कुछ पीते हैं। न घूमते हैं, न फिरते हैं और न ही सांसे लेते हैं। इसी बात की सूचना देने के लिए मैं खास आपके पास आया हूँ महाराजा। उसकी तर्क पूर्ण बातें सुन, महाराज शेर सिंह काफी गम्भीर हो गये और कुछ सोचते हुए उन्होंने अचानक कहा- "इसका मतलब है, मेरे परम-प्रिय मित्र की मृत्यु हो गई?" (Jungle Stories | Stories) "ऐसा कहने का साहस भला मैं कैसे कर सकता हूं महाराज? आप तो स्वयं बुद्धिमान हैं"। आदर सहित सिर झुकाते हुए बंटी खरगोश ने कहा। उसकी, बुद्धिमानी पूर्ण बातों का अर्थ समझ, महाराज शेर सिंह इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने तत्काल ही, बंटी खरगोश को अपना खास सलाहकार नियुक्त कर लिया और सारे राज्य में मुनादी फिरवा दी कि कल सुबह, राष्ट्रीय सम्मान के साथ, श्यामल भालू का अंतिम संस्कार किया जायेगा। यह देख, बंटी खरगोश पर हंसने वाले सभी सेवक, उसकी अक्लमंदी पर दंग रह गये। (Jungle Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | Hindi kahaniyan | kids short stories | kids hindi short stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | kids hindi jungle Stories | kids hindi stories | kids Jungle Stories | Kids Stories | hindi stories | Jungle Stories for Kids | Jungle Stories | hindi stories for kids | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | हिंदी कहानियाँ | बाल कहानी | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की जंगल कहानी यह भी पढ़ें:- Jungle Story: अप्पू और गप्पू Jungle Story: चीकू की बुद्धिमत्ता Jungle Story: दोस्ती की परीक्षा Jungle Story: दूसरे का हक #lotpot E-Comics #छोटी कहानी #छोटी कहानियाँ #Short Hindi Stories #बच्चों की जंगल कहानी #Jungle Stories for Kids #kids hindi jungle Stories #हिंदी कहानियाँ #Bal Kahaniyan #Hindi Bal Kahani #बाल कहानियां #kids hindi short stories #लोटपोट #बाल कहानी #hindi stories for kids #हिंदी बाल कहानी #Hindi Bal Kahaniyan #Jungle Stories #hindi stories #kids short stories #kids Jungle Stories #Kids Stories #हिंदी बाल कहानियाँ #लोटपोट ई-कॉमिक्स #Hindi kahaniyan #hindi short Stories #short stories #kids hindi stories #Bal kahani #छोटी हिंदी कहानी #Lotpot You May Also like Read the Next Article