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दीपावली का त्यौहार (Diwali Festival) आने वाला था। सभी के घरों में साफ-सफाई और सजावट का काम जोर-शोर से चल रहा था। बाजार रंग-बिरंगी लाइटों, मिठाइयों और खिलौनों से सज गए थे। हर तरफ खुशियों का माहौल था। रमन नाम का एक छोटा लड़का था, जो इस साल दीपावली को लेकर बहुत उत्साहित था। उसे पटाखे जलाना और दोस्तों के साथ खेलना बहुत पसंद था। लेकिन इस बार, उसे एक खास सीख मिलने वाली थी।
रमन और उसके पिता की बात
रमन ने अपने पिता से कहा, "पापा, इस बार मुझे सबसे बड़े और सबसे चमकीले पटाखे चाहिए। मैं अपने दोस्तों के साथ खूब पटाखे जलाऊंगा।"
पिता ने मुस्कराते हुए कहा, "बेटा, क्या तुम जानते हो कि इन पटाखों से कितना प्रदूषण होता है और इससे कितने लोगों को तकलीफ हो सकती है?"
रमन ने हैरानी से पूछा, "क्या पटाखों से सच में इतनी परेशानी होती है?"
पिता ने समझाते हुए कहा, "हाँ बेटा, पटाखों से हवा में जहरीले कण फैलते हैं, जिससे बुजुर्गों और छोटे बच्चों को साँस लेने में परेशानी होती है। साथ ही, इससे जानवर भी डरते हैं। क्या तुम नहीं चाहते कि इस दीपावली पर सभी खुश रहें?"
रमन कुछ सोच में पड़ गया। वह समझ गया कि पटाखों से दूसरों को तकलीफ हो सकती है, लेकिन उसे फिर भी कुछ मज़ा चाहिए था।
रमन का विचार
रमन ने फिर से पूछा, "पापा, अगर मैं पटाखे नहीं जलाऊं, तो फिर इस बार दिवाली कैसे मजेदार होगी?"
पिता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "बेटा, दीपावली का असली मतलब सिर्फ पटाखे जलाना नहीं है। यह रोशनी का त्योहार है, खुशियों का त्योहार है, और सबसे खास, यह अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। हम इस बार दीपावली को एक नए अंदाज में मनाते हैं, जिससे सबको खुशी मिले और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।"
रमन ने उत्साहित होकर पूछा, "कैसे पापा?"
दीपावली की नई योजना
पिता ने कहा, "इस बार हम अपने घर के बाहर मिट्टी के दीये जलाएंगे, और घर में रंगोली बनाएंगे। साथ ही, हम अपने पुराने खिलौनों और कपड़ों को जरूरतमंद बच्चों में बाँटेंगे। यह सच्ची दीपावली होगी – जिसमें हम दूसरों के जीवन में भी रोशनी फैलाएंगे।"
रमन ने खुशी-खुशी कहा, "यह तो बहुत अच्छा विचार है, पापा! इस बार मैं अपने सभी दोस्तों को भी इस दीपावली का असली मतलब समझाऊंगा।"
दीपावली का दिन
दीपावली के दिन रमन और उसके पिता ने मिलकर पूरे घर में दीये जलाए। रमन ने खुद अपनी माँ के साथ मिलकर रंगोली बनाई। घर के हर कोने में दीयों की रोशनी फैली हुई थी। रमन अपने दोस्तों के साथ मिलकर पास के अनाथालय भी गया, जहाँ उन्होंने बच्चों को मिठाइयाँ और अपने पुराने खिलौने बांटे।
रमन ने अपने दोस्तों से कहा, "दोस्तों, यह है असली दीपावली। इसमें न सिर्फ हम खुश रहते हैं, बल्कि हम दूसरों के जीवन में भी खुशियाँ लाते हैं।"
एक दोस्त ने कहा, "हाँ रमन, इस तरह की दीपावली हमें अपने परिवार के करीब भी लाती है और हमारी पृथ्वी को भी सुरक्षित रखती है।"
अगले दिन की बात
अगले दिन रमन ने अपने पिता से कहा, "पापा, इस बार की दीपावली मेरी सबसे यादगार दीपावली थी। मुझे बहुत अच्छा लगा कि मैंने किसी को परेशान नहीं किया और बहुत सारे लोगों के चेहरे पर मुस्कान भी लाई।"
पिता ने गर्व से कहा, "मैं बहुत खुश हूँ बेटा कि तुमने सच्ची दीपावली का महत्व समझा। यही असली दीवाली है – जब हम दूसरों के जीवन में भी रोशनी लाते हैं।"
सीख: दीपावली सिर्फ पटाखों और चमक-धमक का त्योहार नहीं है। असली दीपावली वह है, जिसमें हम दूसरों के जीवन में खुशी और रोशनी लेकर आते हैं। इस साल, दीपावली का असली मतलब समझें और अपने आसपास के लोगों के जीवन को रोशन करें।
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