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बड़ा उपहार छोटा उपहार
Moral Story बड़ा उपहार छोटा उपहार:- आठवीं कक्षा के छात्रों की बैठक जमी हुई थी कक्षा के मॉनीटर नरेन्द्र सहित अरविंद, बंटू सभी इस बात का फैसला नहीं कर पा रहे थे कि अपने प्रिय अध्यापक पंडित रामदीन शास्त्री जी को उनके रिटायरमेंट ग्रहण के अवसर पर क्या उपहार दिया जाए? (Moral Stories | Stories)
पंडित रामदीन आठवीं कक्षा में गणित पढ़ाते थे वह इस विद्यालय में गत 28 वर्षों से पढ़ा रहे थे आगामी सोमवार को वह इस विद्यालय से रिटायर हो रहे थे विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री गुप्ता जी व अन्य अध्यापको ने उस दिन एक समारोह आयोजित करके उनका सम्मान करने का निश्चय किया उसी दिन लड़के भी उनको भेंट देना चाहते थे।
पंडित रामदीन आठवीं कक्षा के छात्रों के प्रिय अध्यापक थे जब से उन्होने इस कक्षा में गणित पढ़ाना प्रारम्भ किया था कक्षा का कमजोर छात्र भी गणित से घबराता नहीं था छात्रों के नम्बर भी अच्छे आते थे पंडित जी से पहले श्री लाल साहब इस कक्षा में गणित के अध्यापक थे परन्तु वह छात्रों को गणित समझाने के स्थान पर डांटते-डपटते अधिक थे, फलस्वरूप अधिकांश छात्र गणित की क्लास में जाते ही नहीं थे। मॉनीटर नरेन्द्र की शिकायत पर प्रधानाचार्य ने पंडित जी को आठवीं कक्षा में गणित पढ़ाने का आदेश दे दिया था। (Moral Stories | Stories)
पंडित जी के आते ही छात्रों के मन से गणित का भय गायब हो गया था पंडित जी स्वभाव से भी नम्र थे कई बार उन्होंने अपने पास से निर्धन छात्रों की फीस भरकर उनका नाम कटने से रोका था।
वही पंडित रामदीन सोमवार को लड़कों से बिछड़ रहे थे मॉनीटर नरेन्द्र की राय थी कि पंडित जी को कोई...
वही पंडित रामदीन सोमवार को लड़कों से बिछड़ रहे थे मॉनीटर नरेन्द्र की राय थी कि पंडित जी को कोई कीमती भेंट दी जाए जिससे कि पूरे विधालय में आठवीं कक्षा का नाम हो, सभी छात्र इससे सहमत थे परन्तु बंटू चुप रहा उसने मन ही मन एक निर्णय ले लिया था। उसको अच्छी तरह मालूम था कि उसकी गुल्लक में अच्छी खासी रेजगारी जमा है इधर बन्टू कई दिनों से गौर कर रहा था कि पंडित जी के चश्में की कमानी टूट गई है वह अक्सर धागे से बांध लिया करते थे, चश्में के दोनों शीशे भी धुंधला से गये थे। उसने एक दिन इंटरवल में पंडित जी से चश्मा बदलवाने को कहा था किन्तु पंडित जी ने उसकी बात हँस कर टाल दी थी। (Moral Stories | Stories)
आखिरकार सोमवार का दिन आ पहुंचा विद्यालय के विशाल हॉल को फूल व झालरों से सजाया गया था विद्यालय के प्रधानाचार्य ने पंडित जी को पुष्पहार पहनाया और विद्यालय को प्रदान की उनकी सेवाओं की सराहना की गई अनेक अध्यापकों ने पडित जी के संस्मरण सुनाये बाद में आठवीं कक्षा के मॉनीटर नरेन्द्र ने मंच पर जाकर पंडित जी को खूबसूरत चमकती हुई घड़ी भेंट की।
नरेन्द्र के नीचे उतर आने के बाद बन्टू चुपचाप अपनी सीट से उठा उसने मंच पर जाकर पंडित जी के पैर छुए और अपनी जेब से नया चश्मा निकालकर पंडित जी के हाथ में थमा दिया। पूरा हॉल यह देखकर दंग रह गया पंडित जी कि आखों में प्रसन्नतावश पानी भर आया था।
इतने में बन्टू माईक पर जाकर बोला वास्तव में मेरी भेंट बहुत छोटी सी है पर पंडित जी को इसके सहारे की जरूरत थी जिन आखों ने रात दिन जागकर हमारे प्रश्न हल किये हैं उनकी देखभाल के लिए मेरी यह छोटी सी भेंट है.... पंडित जी ने आगे बढकर बंटू को सीने से लगा लिया... नरेन्द्र सहित सभी छात्रों को बंटू का उपहार सबसे भारी मालूम पड़ रहा था। (Moral Stories | Stories)
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