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नया नामांकन
Moral Story नया नामांकन:- जनवरी का महीना था। शहर के तमाम विद्यालयों में छात्रों एव अभिभावकों की भीड़ लगी थी। यह स्वभाविक भी था क्योंकि प्रत्येक विधालय में नये लड़कों का नामांकन शुरू हो गया था। (Moral Stories | Stories)
शहर का सबसे नामी विद्यालय है जी.एस हाई स्कूल। यहाँ भी छात्रों की खूब भीड़ थी। फिर भी पूरी तरह शांति तथा पठन-पाठन भी व्यवस्थित था। इन्हीं दिनों एक नया छात्र नामांकन लेने आया, नाम था राहुल-सीधा-सादा चेहरा एवं चौड़ा ललाट इस लड़के के साथ एक बुढ़िया थी। (Moral Stories | Stories)
राहुल के चेहरे से मेधाविपन झलकता था इसलिए सभी शिक्षक आकर्षित थे...
राहुल के चेहरे से मेधाविपन झलकता था इसलिए सभी शिक्षक आकर्षित थे किन्तु छात्रों में गुप्प-चुप्प कानाफूसी शुरू हो गयी। प्रधानाचार्य महोदय ने राहुल से एक दो प्रश्न पूछे और उसकी टी.सी देखकर नाम लिख लिया किन्तु दूसरे दिन हमें कई अप्रत्याशित बातें सुनने को मिलीं। उदय ने कहा कि यह तो बिना माँ बाप का बच्चा है। रोहित ने बताया कि मेरी मम्मी कहती हैं कि इस लड़के की माँ अभी जीवित है पर रहती है इस से दूर। गौतम ने तो यहाँ तक कह दिया कि इसका नामांकन ही नहीं होना चाहिए था। (Moral Stories | Stories)
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जितने मुंह उतनी बातें उठ रहीं थीं पर हम लोगों को राहुल पसंद था और अब उससे सहानुभूति भी हो गयी थी। इसलिए साम, दाम, दंड, भेद वाली कहावत चरितार्थ करके लड़को को शांत कराया और राहुल को भी प्रोत्साहित किया कि वह अपने मन में हीन भावना न लाये और खूब मन लगाकर पढ़े-लिखे। अध्यापको की बातें सुनकर राहुल ने ऐसे सिर हिलाया मानो वह ऐसी जली कटी बातें सुनने का अभ्यस्त हो गया है। किन्तु अपनी राह बनाता जा रहा है।
इन्ही दिनों विधालय की ओर से बोध गया भ्रमण का प्रोग्राम बना। छात्रों की खुशियाँ फूट पड़ीं। कुल चैंतीस लड़कों का दल पांच अध्यापकों के संरक्षण में चल पड़ा। बोध गया बड़ी रमणीक जगह है। जगह-जगह बौद्ध स्तूप एवं फल्गु नदी की कलकल धारा तथा वह बौधि वृक्ष अब भी मौजूद है जहाँ सिद्धार्थ ने ज्ञान प्राप्त किया था। (Moral Stories | Stories)
अतः स्थानों को देखने के बाद लड़कों ने नाश्ता किया और गप्पें लड़ाने लगे। राहुल से तो कोई बोलता ही न था, इसलिए नाश्ते के बाद वह पत्रिका पढ़ने लगा। कुछ लड़के इधर-उधर घूमने भी लगे। अचानक किसी के चिल्लाने से हमारी नींद टूट गयी। सभी चिल्लाहट की दिशा का लक्ष्य कर दौड़ पड़े। वहां पहुंचकर जो दृश्य देखा तो सभी सन्न रह गये-गौतम चिल्लाता हुआ बेतहाशा दौड़ रहा था और एक काला विषधर सांप सरपट भागता हुआ उसका पीछा कर रहा था। हमारे हाथ-पैर फूल गये, क्या किया जाये क्या नहीं, हम लोग इसी उधेड़बुन में थे कि राहुल दौड़ा और चिल्ला-चिल्ला कर गौतम से कहने लगा तुम सीधा मत भागो बल्कि टेढ़ा-मेढ़ा गोल दौड़ो। (Moral Stories | Stories)
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किन्तु गौतम इतना बदहवास हो गया था कि कुछ न सुन सका। यदि तत्काल कुछ न किया जाता तो शीघ्र ही क्रोधित सांप उसे डंस लेता। राहुल तत्क्षण सांप के दौड़ने की दिशा में चला गया और चकोर दौड़ दौड़कर ईंटे बरसाने लगा। (Moral Stories | Stories)
लाचार होकर सांप को भी चकोर होकर भागना पड़ा किन्तु चारो तरफ घूम कर दौड़ना सांप के लिए कष्टदायक होता है। वह तो सरपट दौड़ने का अभ्यासी जीव है। कुछ ही देर में सांप थक कर चूर हो गया और उसकी चाल धीमी पड़ गयी। मौका देखकर राहुल एवं अन्य लड़कों ने अंधाधुंध ढेले बरसाने शुरू कर दिए। कई ढेले सांप के फन पर लगे और वह बिलबिला उठा।
सांप मरा, गौतम बचा किन्तु अब उसकी हिम्मत राहुल से नजरे मिलाने की न हो रही थी। लडके शर्मिंदा थे कि क्यों हम लोगों ने राहुल पर व्यंग्य बाण छोड़े। फिर सभी उससे हिल मिलकर रहने लगे थे। (Moral Stories | Stories)
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