Moral Story: कुम्हार की चतुराई चमनपुर गांव में एक सुखिया नाम का कुम्हार रहता था। उसके पास एक गधा था। वह गधा ही उसके परिवार के पालन पोषण का साधन था। सुखिया गांव के व्यापारियों का माल शहर से गांव तक गधे पर लादकर लाता था। By Lotpot 05 Apr 2024 in Stories Moral Stories New Update कुम्हार की चतुराई Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Moral Story कुम्हार की चतुराई:- चमनपुर गांव में एक सुखिया नाम का कुम्हार रहता था। उसके पास एक गधा था। वह गधा ही उसके परिवार के पालन पोषण का साधन था। सुखिया गांव के व्यापारियों का माल शहर से गांव तक गधे पर लादकर लाता था। इसी प्रकार उसका रोजाना का क्रम था, इससे जो पारिश्रमिक मिलता था। उसी से सुखिया के परिवार का गुजारा होता था। अचानक एक दिन मध्य रात्रि को एक चोर सुखिया के गधे को चुरा कर ले गया। (Moral Stories | Stories) प्रात: काल जब सुखिया ने गधे को गायब पाया तो वह दहाड़ें मार-मार कर रोने लगा। कुछ लोगों ने उसे रोते देखकर कारण जानना चाहा तो सुखिया ने रोते हुए संक्षेप में अपने पर बीती हुई आप बीती बताई। गांव वालों ने सुखिया की गरीबी पर तरस खाकर चंदा मिलाकर कुछ रूपए देते हुए कहा सुखिया तुम आज ही इन रूपयों से एक नया गधा ले आओ, जिससे तुम्हारा कार्य न बन्द हो सके। (Moral Stories | Stories) रूपये लेकर नया गधा लेने के उद्देश्य से सुखिया पशुओं की मंडी चल पड़ा। बाजार पहुंचकर वह अभी गधा पसंद कर ही रहा था कि... रूपये लेकर नया गधा लेने के उद्देश्य से सुखिया पशुओं की मंडी चल पड़ा। बाजार पहुंचकर वह अभी गधा पसंद कर ही रहा था कि तभी अचानक उसे अपना गधा दिखाई पड़ा। उसके गधे को एक आदमी बेचने हेतु आवाजें लगा रहा था वह तुरन्त ही अपने गधे के पास पहुंचकर कहने लगा- यह गधा तो मेरा है, तुम इसे चोरी कर लाये हो, मैं तुम्हें यह गधा बेचने नहीं दूंगा। अधिक विवाद बढ़ जाने पर बाजार कर कोतवाल आए और दोनों की वर्तालाप सुनकर बोले- तुम लोगों के पास अपना पक्ष सही सिद्ध करने के लिए कोई सबूत है। उसी क्षण सुखिया के दिमाग में एक युक्ति सूझी। उसने तुरंत ही गधे की आंख पर पट्टी बांध दी और कोतवाल से कहा- हुजूर मेरा गधा एक आंख से अंधा है, यदि इसका गधा है तो इसे यह भी पता होगा उसकी कौन सी वाली आंख अंधी है। (Moral Stories | Stories) उस युवक ने उत्तर दिया। गधे की बांई आंख से नहीं दिखता है। फिर सुखिया को मुस्कुराते देखकर तुरन्त बोला- नहीं, नहीं दाईं वाली आंख से नहीं दिखता है। सुखिया ने गधे की आंखों से पट्टी हटाकर शहर के कोतवाल से बोला हुजूर मेरा गधा अंधा है ही नहीं, यह गधा दोनों आंखों से देख सकता है। अगर इस युवक का गधा होता तो यह कभी न कहता की मेरा गधा अंधा है, कल मेरे घर से इसने मेरा गधा चुराया था, जिससे परेशान होकर मैं नया गधा खरीदने हेतु बाज़ार आया था। अब आप ही मेरा फैसला कीजिए, आप जैसा भी न्याय करेंगे मुझे मंजूर होगा। कोतवाल ने सुखिया की चतुराई से प्रसन्न होते हुए उस युवक से बोला- यह गधा उसको वापस करो और मेरे साथ हवालात चलो। सुखिया अपना गधा पाकर खुशी खुशी अपने गांव लौट चला। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | kids short stories | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | kids hindi stories | Kids Moral Stories | Kids Stories | Moral Stories | Hindi Moral Stories | Moral Stories for Kids | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | हिंदी कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की नैतिक कहानियाँ यह भी पढ़ें:- Moral Story: धूल में लिपटा हीरा Moral Story: नन्हा चित्रकार Moral Story: अध्यापक की पहचान Moral Story: सफलता का सबक #Moral Stories for Kids #lotpot E-Comics #छोटी कहानी #छोटी कहानियाँ #Short Hindi Stories #Kids Moral Stories #Hindi Moral Stories #Kids Hindi Moral Stories #हिंदी कहानियाँ #Bal Kahaniyan #Hindi Bal Kahani #short moral stories #बाल कहानियां #kids hindi short stories #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #लोटपोट #बाल कहानी #हिंदी बाल कहानी #Hindi Bal Kahaniyan #Moral Stories #kids short stories #Kids Stories #हिंदी बाल कहानियाँ #लोटपोट ई-कॉमिक्स #hindi short Stories #short stories #kids hindi stories #Bal kahani #छोटी हिंदी कहानी #Lotpot You May Also like Read the Next Article