Moral Story: धूल में लिपटा हीरा रामपुर के सेठ रामलाल, बहुत ही समझदार दानी व नेकदिल इन्सान थे। इस कारण गाँव के सभी लोग उनको चाहते थे। एक दिन, उनके एक दरबान ने आकर, उनको यह खबर दी कि, कुछ दिन पहले, गांव में एक पहुंचे हुए महात्मा पधारे हैं। By Lotpot 29 Mar 2024 in Stories Moral Stories New Update धूल में लिपटा हीरा Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Moral Story धूल में लिपटा हीरा:- रामपुर के सेठ रामलाल, बहुत ही समझदार दानी व नेकदिल इन्सान थे। इस कारण गाँव के सभी लोग उनको चाहते थे। एक दिन, उनके एक दरबान ने आकर, उनको यह खबर दी कि, कुछ दिन पहले, गांव में एक पहुंचे हुए महात्मा पधारे हैं। यह सुन सेठ के मन में उनसे मिलने की इच्छा जागृत हुई। (Moral Stories | Stories) अपनी इच्छापूर्ति के लिए सेठ नें महात्मा के लिए एक हीरे से जड़ी अंगूठी और कुछ भेंट लेकर महात्मा से मिलने गए। वहाँ जाकर सेठ ने देखा कि महात्मा बहुत ही प्रेम भाव व शांति से एक ऐसे व्यक्ति के सवालों का जवाब दे रहे हैं जो साधारण सा सवाल पूछ रहा है। उस व्यक्ति के जाने के बाद, सेठ ने महात्मा के समीप जाकर, उनको प्रणाम किया फिर भेंट देकर, विनम्र ता पूर्वक बोला... उस व्यक्ति के जाने के बाद, सेठ ने महात्मा के समीप जाकर, उनको प्रणाम किया फिर भेंट देकर, विनम्र ता पूर्वक बोला- “महात्मा, अभी-अभी जो व्यक्ति गया है जो कि आपसे साधारण सा सवाल पूछ है रहा था। मुझे तो वह व्यक्ति मूर्ख प्रतीत होता है और आप उस पर व्यर्थ समय नष्ट कर रहे थे। क्या यह अनुचित नहीं है?” (Moral Stories | Stories) महात्मा, सेठ के प्रश्न को सुनकर, एक क्षण कुछ सोचकर इधर-उधर दृष्टि दौड़ाए। फिर पास ही राखी सेठ द्वारा लाई गयी होरे की अंगूठी को, सेठ को दिखाते हुए बोले- ''वत्स, ये अंगूठी जो हीरे से जड़ी है काफी मूल्यवान प्रतीत होती है।” “जी हां, महाराज यह अंगूठी बहुत ही कीमती है।” सेठ ने जवाब दिया। महात्मा ने पुनः प्रश्न किया- ''क्या यह हीरा खान से इसी रूप में निकाले जाते हैं?" (Moral Stories | Stories) “जी नहीं महाराज, खानों में तो धूल-मिट्टी में लिपटे, अनाकार, पाए जाते हैं। इसे तो अथक परिश्रम और बुद्धि द्वारा घिसकर, तपाकर, तराशकर, मनचाहा स्वरूप प्रदान किया जाता है।" सेठ ने जवाब दिया। “तो पुत्र, वे व्यक्ति भी, जिन्हें तुम मूर्ख कह रहे हो, धूल-मिट्टी में सने हीरा ही हैं। जिसे मैं वास्तविक व चमकदार हीरा बनाने का कार्य कर रहा हूं।'' सेठ को, महात्मा ने समझाते हुए कहा। “आपने ठीक कहा महाराज। मैं ही गलत सोच बैठा था। आपने मेरी ही गलत सोच को सही रास्ता दिखाया है। इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद महाराज” सेठ ने कहा। सेठ तहे दिल से, नतमस्तक होकर महात्मा को शुक्रिया अदा किए जा रहा था और महात्मा मन्द-मन्द मुस्कुराए जा रहे थे। (Moral Stories | Stories) lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | Kids Moral Stories | kids hindi stories | Hindi Moral Stories | Kids Stories | Moral Stories for Kids | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | हिंदी कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की नैतिक कहानियाँ यह भी पढ़ें:- Moral Story: प्रायश्चित Moral Story: किसी का दोष न देखो Moral Story: शरारत का परिणाम Moral Story: भ्रम में मत पड़ो #Moral Stories for Kids #lotpot E-Comics #छोटी कहानी #छोटी कहानियाँ #Short Hindi Stories #Kids Moral Stories #Hindi Moral Stories #Kids Hindi Moral Stories #हिंदी कहानियाँ #Bal Kahaniyan #Hindi Bal Kahani #short moral stories #बाल कहानियां #kids hindi short stories #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #लोटपोट #बाल कहानी #हिंदी बाल कहानी #Hindi Bal Kahaniyan #Kids Stories #हिंदी बाल कहानियाँ #लोटपोट ई-कॉमिक्स #hindi short Stories #short stories #kids hindi stories #Bal kahani #छोटी हिंदी कहानी #Lotpot You May Also like Read the Next Article