Moral Story: तीन मछलियां

एक नदी के किनारे उसी नदी से जुड़ा एक बड़ा जलाशय था। जलाशय में पानी गहरा होता है, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं। ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं।

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Three fishes in pond

तीन मछलियां

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Moral Story तीन मछलियां:- एक नदी के किनारे उसी नदी से जुड़ा एक बड़ा जलाशय था। जलाशय में पानी गहरा होता है, इसलिए उसमें काई तथा मछलियों का प्रिय भोजन जलीय सूक्ष्म पौधे उगते हैं। ऐसे स्थान मछलियों को बहुत रास आते हैं। उस जलाशय में भी नदी से बहुत-सी मछलियां आकर रहती थीं। अंडे देने के लिए तो सभी मछलियां उस जलाशय में आती थीं। वह जलाशय लम्बी घास व झाडियों द्वारा घिरा होने के कारण आसानी से नज़र नहीं आता था। (Moral Stories | Stories)

उसी मे तीन मछलियों का झुंड रहता था। एक का नाम अन्ना, दूसरी प्रत्यु और तीसरी का नाम यद्दी था। उनके स्वभाव भिन्न थे। अन्ना संकट आने के लक्षण मिलते ही संकट टालने का उपाय करने में विश्वास रखती थी। प्रत्यु कहती थी कि संकट आने पर ही उससे बचने का यत्न करो। यद्दी का सोचना था कि संकट को टालने या उससे बचने की बात बेकार है करने कराने से कुछ नहीं होता जो किस्मत में लिखा है, वह होकर रहता है।

एक दिन शाम को मछुआरे नदी में मछलियां पकड़कर घर जा रहे थे। बहुत कम मछलियां उनके जालों में फंसी थीं। अतः उनके चेहरे उदास थे। तभी उन्हें झाडियों के ऊपर मछलीखोर पक्षियों का झुंड जाता दिखाई दिया। सबकी चोंच में मछलियां दबी थीं। वे चौंके, एक ने अनुमान लगाया ‘‘दोस्तों! लगता है झाडियों के पीछे नदी से जुडा जलाशय है, जहां इतनी सारी मछलियां पल रहीं हैं।’’ (Moral Stories | Stories)

मछुआरे पुलकित होकर झाडियों में से होकर जलाशय के तट पर आ निकले और ललचाई नज़र से...

मछुआरे पुलकित होकर झाडियों में से होकर जलाशय के तट पर आ निकले और ललचाई नज़र से मछलियों को देखने लगे। एक मछुआरा बोला ‘‘अहा! इस जलाशय में तो मछलियां भरी पडी हैं। आज तक हमें इसका पता ही नहीं लगा।’’ दूसरा बोला, ‘‘यहां हमें ढेर सारी मछलियां मिलेंगी।’’ तीसरे ने कहा “आज तो शाम घिरने वाली है। कल सुबह ही आकर यहां जाल डालेंगे।’’

इस प्रकार मछुआरे दूसरे दिन का कार्यक्रम तय करके चले गए। तीनों मछ्लियों ने मछुआरों की बात सुन ली थी। अन्ना मछली ने कहा ‘‘साथियों! तुमने मछुआरे की बात सुन ली। अब हमारा यहां रहना खतरे से खाली नहीं है। खतरे की सूचना हमें मिल गई है। समय रहते अपनी जान बचाने का उपाय करना चाहिए। मैं तो अभी ही इस जलाशय को छोड़कर नहर के रास्ते नदी में जा रही हूँ। उसके बाद मछुआरे सुबह आएं, जाल फेंके, मेरी बला से। तब तक मैं तो बहुत दूर अटखेलियां कर रही होऊंगी।’’ (Moral Stories | Stories)

Three fishes in pond

प्रत्यु मछली बोली ‘‘तुम्हें जाना है तो जाओ, मैं तो नहीं आ रही। अभी खतरा आया कहां है, जो इतना घबराने की जरुरत है हो सकता है संकट आए ही न। उन मछुआरों का यहां आने का कार्यक्रम रद्द हो सकता है, हो सकता है रात को उनके जाल चूहे कुतर जाएं, हो सकता है। उनकी बस्ती में आग लग जाए। (Moral Stories | Stories)

भूचाल आकर उनके गांव को नष्ट कर सकता है या रात को मूसलाधार वर्षा आ सकती है और बाढ़ में उनका गांव बह सकता है। इसलिए उनका आना निश्चित नहीं है। जब वह आएंगे, तब की तब सोचेंगे। हो सकता है मैं उनके जाल में ही न फसूं।’’ यद्दी ने अपनी भाग्यवादी बात कही ‘‘भागने से कुछ नहीं होगा। मछुआरों को आना है तो वह आएंगे। हमें जाल में फंसना है तो हम फंसेंगे। किस्मत में मरना ही लिखा है तो क्या किया जा सकता है?’’

इस प्रकार अन्ना तो उसी समय वहां से चली गई। प्रत्यु और यद्दी जलाशय में ही रहीं। भोर हुई तो मछुआरे अपने जाल को लेकर आए और लगे जलाशय में जाल फेंकने और  मछलियां पकड़ने। प्रत्यु ने संकट को आए देखा तो लगी जान बचाने के उपाय सोचने। उसका दिमाग तेजी से काम करने लगा। आस-पास छिपने के लिए कोई खोखली जगह भी नहीं थी। तभी उसे याद आया कि उस जलाशय में काफी दिनों से एक मरे हुए ऊदबिलाव की लाश तैरती रही है। वह उसके बचाव के काम आ सकती है। (Moral Stories | Stories)

जल्दी ही उसे वह लाश मिल गई। लाश सड़ने लगी थी। प्रत्यु लाश के पेट में घुस गई और सड़ती लाश की सडांध अपने ऊपर लपेटकर बाहर निकली। कुछ ही देर में मछुआरे के जाल में प्रत्यु फंस गई। मछुआरे ने अपना जाल खींचा और मछलियों को किनारे पर जाल से उलट दिया। बाकी मछलियां तो तड़पने लगीं, परन्तु प्रत्यु दम साधकर मरी हुई मछली की तरह पड़ी रही।

Fisherman catching fishes in pond

मचुआरे को सडांध का भभका लगा तो मछलियों को देखने लगा। उसने निश्चल पड़ी प्रत्यु को उठाया और सूंघा ‘‘आक थू! यह तो कई दिनों की मरी मछली है, सड़ चुकी है।’’ ऐसे बडबडाकर बुरा-सा मुंह बनाकर उस मछुआरे ने प्रत्यु को जलाशय में फेंक दिया। प्रत्यु अपनी बुद्धि का प्रयोग कर संकट से बच निकलने में सफल हो गई थी। पानी में गिरते ही उसने गोता लगाया और सुरक्षित गहराई में पहुंचकर जान की खैर मनाई।

यद्दी भी दूसरे मछुआरे के जाल में फंस गई थी और एक टोकरे में डाल दी गई थी। भाग्य के भरोसे बैठी रहने वाली यद्दी ने उसी टोकरी में अन्य मछलियों की तरह तड़प- तड़प कर प्राण त्याग दिए। (Moral Stories | Stories)

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