Moral Story बेकार दौलत:- एक राजा ने राज्य में क्रूरता से बहुत दौलत इकट्ठा करके आबादी से बाहर जंगल में एक सुनसान जगह पर तहखाना बनवाकर उसमें छुपा दिया। खजाने की सिर्फ दो चाबियां थीं। एक चाबी राजा के पास और एक खास मंत्री के पास। इन दोनों के अलावा किसी को भी उस खुफिया खजाने का राज मालूम नहीं था। (Moral Stories | Stories)
एक रोज किसी को बताए बगैर राजा अकेले अपने खजाने को देखने निकला और तहखाने का दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हो गया। खजाने को...
एक रोज किसी को बताए बगैर राजा अकेले अपने खजाने को देखने निकला और तहखाने का दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हो गया। खजाने को देखकर वह खुश हो रहा था। उसी वक्त मंत्री भी उस इलाके से निकला और उसने देखा कि खजाने का दरवाजा खुला है। वो हैरान हो गया और सोचने लगा कि कहीं कल जब मैं खजाना देखने आया था, तब शायद खजाने का दरवाजा खुला रह गया होगा। उसने जल्दी-जल्दी खजाने का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और वहां से चला गया। (Moral Stories | Stories)
उधर खजाने को निहारने के बाद राजा जब संतुष्ट हुआ और दरवाजे के पास आया तो पाया कि दरवाजा तो बाहर से बंद है। उसने जोर जोर से दरवाजा पीटना शुरू किया। पर वहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था। वो चिल्लाता रहा पर अफसोस कोई नहीं आया, वो थक-हार कर वहां रखे खजाने को निहारता रहा।
अब राजा भूख-प्यास से बेहाल होकर पागल सा हो गया। वो रेंगता रेंगता हीरों के संदूक के पास गया और बोला- 'ए दुनिया के नायाब हीरों, मुझे एक गिलास पानी दे दो’। फिर मोती, सोने-चांदी के पास गया और बोला- 'ए मोती, चांदी-सोने के खजाने मुझे एक वक्त का खाना दे दो’। (Moral Stories | Stories)
राजा यह सब मांगते मांगते परेशान हो गया तो राजा को ऐसा लगा कि हीरे मोती उसे बोल रहे हों कि तेरी सारी जिंदगी की कमाई, तुझे एक गिलास पानी और एक समय का खाना नहीं दे सकती। राजा भूख से बेहोश हो कर गिर गया और जब उसे होश आया तो सारे हीरे मोती से दीवार के पास अपना बिस्तर बनाया और उस पर लेट गया। वो दुनिया को एक पैगाम देना चाहता था, लेकिन उसके पास कागज और कलम नहीं था। उसने पत्थर से अपनी उंगली पर चोट की और बहते हुए खून से दीवार पर कुछ लिख दिया। उधर मंत्री और पूरी सेना लापता राजा को ढूंढते रहे पर बहुत दिनों तक राजा नहीं मिला तो मंत्री राजा के खजाने को देखने आया। उसने देखा कि राजा वहां था लेकिन राजा की मृत्यु हो चुकी थी और एक दीवार पर लिखा हुआ था, “ये सारी दौलत एक घूंट पानी और एक निवाला भोजन नहीं दे सकी, इसलिए यह सब बेकार है”। (Moral Stories | Stories)
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