Moral Story: डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध
बहुत पुरानी बात है मगध राज्य में एक सोनापुर नाम का गाँव था। उस गाँव के लोग शाम होते ही अपने घरों में आ जाते थे। और सुबह होने से पहले कोई भी घर के बाहर कदम भी नहीं रखता था, इसका कारण डाकू अंगुलिमाल था।
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बहुत पुरानी बात है मगध राज्य में एक सोनापुर नाम का गाँव था। उस गाँव के लोग शाम होते ही अपने घरों में आ जाते थे। और सुबह होने से पहले कोई भी घर के बाहर कदम भी नहीं रखता था, इसका कारण डाकू अंगुलिमाल था।
‘‘भैया आपने मेरी चाॅकलेट ली?’’ अपने बैग की जेब को खाली पाकर किरन ने बगल में बैठे वरूण से पूछा। वरूण उस समय सवाल लगाने में व्यस्त था। उसने किरन की आवाज को अनसुना कर दिया।
किसी समय अबू दानिश नाम का एक फकीर था, वह बड़ा मस्तमौला था। दिन भर इधर उधर घूमता रहता और अल्लाह का नाम लेता। जो मिल जाता, खा लेता। रात होने पर मस्जिद के एक कोने में पड़कर सो जाता।
एक नौजवान शिष्य अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला, ”गुरुजी एक बात समझ नहीं आती, आप इतने साधारण वस्त्र क्यों पहनते हैं ‘इन्हे देख कर लगता ही नहीं कि आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं।
वगडावर नामक गांव में एक लड़की रहती थी जिसका नाम था ननकी। इस गांव के पास से पोसी नदी बहती है। ननकी को इस नदी से बड़ा लगाव था। जब वह स्कूल जाती तो नदी के किनारे-किनारे चलती हुई नदी की कलकल बहती धारा को देखती जाती।
किसी गाँव में एक धनी सेठ रहता था उसके बंगले के पास एक जूते सिलने वाले गरीब मोची की छोटी सी दुकान थी। उस मोची की एक खास आदत थी कि वो जब भी जूते सिलता तो भगवान के भजन गुनगुनाता रहता था।
एक बार की बात है दो व्यक्ति थे, जिनका नाम था मामा और फूफा। मामा और फूफा दोनों व्यापार करते थे और दोनों व्यापार में सहभागी थे। मामा ने फूफा से कहा, "फूफा क्यों ना हम कोई ऐसी वस्तु खरीद लें जो जल्दी खराब ना हो।