Motivational Story: आज़ादी की कीमत
जैसे ही रात हुई, आस-पड़ोस के बच्चों ने दादी को फिर आ घेरा कहानी सुनने के लिए। बच्चों में अजय, संजय, दिलीप, गीता, राजू, मोहम्मद और सरदार अचरज सिंह का बेटा रणजीत व जेकब सभी थे।
कहानियां, मात्र सुने सुनाए किस्से ही नहीं है बल्कि एक बच्चे के सर्वांगीण विकास को उसकी कल्पनाशक्ति के सहारे पंख प्रदान करने हेतु विशेष महत्व रखते हैं। Lotpot.com पे हमारे हुनरमंद लेखकों द्वारा लिखी गई कुछ ऐसी ही कहानियां आपके बच्चों में नए मनोरंजन का संचार कर उनकी सोच को विस्तृत एवं पूर्ण बनाने का कार्य करेंगी। तो जल्दी से जल्दी सब्सक्राइब कीजिए हमारी वेबसाइट lotpot.com को और अपने बच्चों के विकास के पंखों को और मज़बूत बनाइए।
जैसे ही रात हुई, आस-पड़ोस के बच्चों ने दादी को फिर आ घेरा कहानी सुनने के लिए। बच्चों में अजय, संजय, दिलीप, गीता, राजू, मोहम्मद और सरदार अचरज सिंह का बेटा रणजीत व जेकब सभी थे।
एक संत को अपना भव्य आश्रम बनाने के लिए धन की जरूरत पड़ी। वह अपने शिष्य को साथ लेकर धन जुटाने के लिए लोगों के पास गए। घूमते-घूमते वह सूफी संत राबिया की कुटिया में पहुँचे।
बहुत पहले की बात है, एक गांव में एक संत रहते थे। उनके बारे में सब लोग यही मानते थे कि वह अत्यंत विद्वान तथा त्यागी तपस्वी थे। वह सुबह उठते तो नहा-धोकर तपस्या करने बैठ जाते। शाम होती तो भगवान की उपासना होती।
एक आम के पेड़ पर एक मैना अपने परिवार के साथ रहती थी, उसी पेड़ पर एक सुंदर सफेद बगुला भी अपने परिवार के साथ रहता था। लेकिन वो बहुत घमंडी था, उसे अपने उजले सफेद रंग रूप पर बड़ा गर्व था।
एक गुरूजी गुरूकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। वहां बड़े-छोटे सभी घरों के बच्चे पढ़ते थे। शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी। सभी घर लौटने की तैयारी कर रहे थे कि तभी गुरू जी वहां आ गए।
हर व्यक्ति को अपने आप पर गर्व होना ही चाहिए, वे अक्सर कहा करते थे। वे ईश्वर चन्द्र विद्या सागर थे। उन दिनों वे संस्कृत कॉलेज के प्रधानाचार्य थे। चूंकि कॉलेज के प्रधान थे।
एक शहर में दो चोर रहते थे। छोटी-मोटी चोरी करके अपना गुज़ारा चलाते थे। वे दोनों बचपन के दोस्त थे? साथ साथ रहते थे खेलते कूदते थे। जब बड़े हुए तो उन दोनों का ध्यान चोरी की तरफ गया।