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कविता “हम बालक हैं…” एक प्रार्थना-गीत है जिसमें छोटे-छोटे बच्चे भगवान से सच्चे मन से मार्गदर्शन माँगते हैं। बच्चे स्वयं को नादान और भोला मानते हैं और मानते हैं कि ईश्वर ही ज्ञान का असली खज़ाना हैं। इसीलिए वे उनसे प्रार्थना करते हैं कि उन्हें ऐसा ज्ञान और बुद्धि मिले जिससे उनके जीवन से अज्ञान और दुःख दूर हो जाए।
कविता में बच्चों की मासूम इच्छा झलकती है कि उनका मन निर्मल बने और उनका ज्ञान सबके कल्याण में काम आए। इसमें ईश्वर पर अटूट विश्वास रखने, पराई आस न करने और हमेशा सेवा व सम्मान करने की शिक्षा दी गई है। यह बच्चों को परोपकार, विनम्रता और कृतज्ञता जैसे जीवन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देती है।
कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि यदि हम अपने जीवन में भगवान की याद कभी न भूलें और हर कार्य उनके आशीर्वाद के साथ करें तो हमारा जीवन सफल और सुखी बन सकता है। बच्चों की यह प्रार्थना केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के कल्याण का भाव लिए हुए है।
हम बालक हैं...
हम बालक हैं अति नादान,
तुम हो प्रभु ज्ञान की खान।
वही वस्तु दें हमको आप,
जिससे मिटें सभी संताप।
बुद्धि शुद्ध हो, निर्मल ज्ञान,
हो जाए सबका कल्याण।
तुम पर सदा रहे विश्वास,
कभी न करें पराई आस।
सेवा करें, करें सम्मान,
सबको दो ऐसा वरदान।
भूले नहीं तुम्हारी याद,
करें न एक पल बरबाद।
देखें तुम्हें सदा ही साथ,
सिर पर रहे तुम्हारा हाथ।
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