"सुबह का संदेश" कविता बच्चों को सुबह की सकारात्मकता और सामूहिकता का महत्व सिखाती है। इसमें प्रकृति के जीव-जंतुओं जैसे मुर्गा, चिड़िया, कबूतर, कौआ, और बिल्ली के संवाद से यह संदेश मिलता है कि मेहनत, एकता, और सच्चाई से ही जीवन को सुंदर बनाया जा सकता है। यह कविता बच्चों को प्रेरित करती है कि वे हर दिन को एक नई शुरुआत की तरह देखें। सुबह का संदेश मुर्गा बोला कुकड़ू कूं,उठो सभी, ख़त्म हुई रात कुकड़ू कूं।सूरज की किरणें दरवाजे आईं,नयी सुबह का संदेशा लाईं। चिड़िया बोली चूं-चूं,मैं गाऊं भोर की धुन।पेड़-पौधे भी झूम उठे,नयी सुबह में सब लिपटे। कबूतर गाया गूटर-गूं,सच्चाई की राह मैं चलूं।कौआ बोला कांव-कांव,मेहनत से ही मिलती है छांव। बिल्ली ने धीमे से कहा,"खुश रहो, बस यही है दुआ।"नदिया बोली कलकल गान,"बहते रहो, यही है आज ज्ञान।" फूलों ने महक का रंग दिया,सूरज ने चमक का संग दिया।बच्चे बोले जोर से,"पढ़ाई करेंगे शोर से।" जंगल के प्राणी साथ में बोले,"सपने देखो, मेहनत से तोले।"प्रकृति का हर जीव ये सिखाए,"जीवन को सब मिलकर सजाए।" "प्रकृति का हर जीव हमें जीवन जीने का तरीका सिखाता है – मेहनत, खुशी और एकता के साथ।" और पढ़े: घर का आँगन-दादी माँ बाल कविता - घोड़ा सर्दी पर एक सुन्दर कविता - सर्दी के दिन आए चंदामामा ठहरो थोड़ा- बाल कविता