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यह कविता “चूहे राजा की सैर” बच्चों के लिए एक मजेदार और शिक्षाप्रद रचना है। इसमें चूहे राजा की सैर के दौरान अलग-अलग जानवरों के साथ उनके मस्तीभरे और प्यारे संवाद दिखाए गए हैं। यह कविता दोस्ती, आपसी मेलजोल और खुश रहने का संदेश देती है। हल्के-फुल्के अंदाज में बच्चों को यह सिखाती है कि सबके साथ मिलकर रहना ही असली मज़ा है।
चूहे राजा की सैर
चूहे राजा निकले सैर,
पहने के चश्मा, लेकर बैर।
बंदर बोला – चाय पिलाओ!
साँप ने कहा – नाच उठाओ!!
हाथी आया मस्त चाल में,
बोला – राजा जी चलें हम ताल में!
कुत्ता भौंका – जी भी जाएँ,
बिल्ली बोली – दूध पिलाएँ!
राजा हँसे – चलो सब साथ,
खुश रहो और छोड़ो हाथ।
दोस्ती में मजा है प्यारे,
सब हैं अपने, सब हैं न्यारे।
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