हिंदी मनोरंजक कविता: चलते ही जाओ

By Lotpot
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चलते ही जाओ

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चलते ही जाओ

बीत गया जो उसको छोड़ो,
नई-नई कुछ बातें सोचो।

क्या करना है, कब करना,
नए काम के अवसर खोजो।

जो चलता है वह बढ़ता है,
खड़े हुए क्यों, आगे आओ।

दृढ़ निश्चय मन में रखो,
सोच समझकर कदम बढ़ाओ।

चलकर के चलते रहना है,
आगे कदम बढ़ाते जाओ।

पीछे मुड़ना या फिर रूकना,
ठीक नहीं मन को समझाओ।

पथ के रोड़े आएंगे ही,
उनसे तुम लड़ते ही जाओ।

मंजिल पहुंचे बिना रूको मत,
केवल तुम चलते ही जाओ।

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