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“तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो” एक अत्यंत मधुर और भावपूर्ण प्रार्थना है, जो बच्चों को ईश्वर के प्रति स्नेह, आस्था और कृतज्ञता का संदेश देती है। यह कविता हमें सिखाती है कि ईश्वर हमारे सबसे बड़े सहारे, मित्र और मार्गदर्शक हैं। वे हमारे माता-पिता की तरह हमारा ध्यान रखते हैं, मित्र की तरह साथ देते हैं और कठिन समय में हमारा सहारा बनते हैं।
बच्चों के लिए यह कविता खास इसलिए है क्योंकि इसे समझना आसान है और इसकी हर पंक्ति हमारे जीवन में आध्यात्मिक संतुलन लाती है। स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के रूप में यह गीत अक्सर गाया जाता है, ताकि विद्यार्थियों में सकारात्मक सोच, अनुशासन और आभार की भावना विकसित हो सके। कविता यह भी बताती है कि हम सभी ईश्वर की बनाई हुई छोटी-छोटी कली जैसे फूल हैं, और उनके चरणों की धूल बनने में भी गर्व महसूस करते हैं।
इस वंदना के माध्यम से बच्चों में नैतिक मूल्यों, विनम्रता और कृतज्ञता की भावना उत्पन्न होती है। सुबह की प्रार्थना न केवल मन को शांत करती है बल्कि दिन की शुरुआत को भी पवित्र और प्रेरणादायक बनाती है।
यह कविता हमें याद दिलाती है कि ईश्वर हर रूप में हमारे साथ हैं — हमारे रक्षक, मार्गदर्शक और सच्चे सखा।
वंदना - तुम्ही हो माता पिता
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो,
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही हो।
तुम्ही हो साथी, तुम्ही सहारे,
कोई न अपना सिवा तुम्हारे।
तुम्ही हो नैया, तुम्ही खिवैया,
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही हो।
जो खिल सके न, वो फूल हम हैं,
तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं।
दया की दृष्टि सदा ही रखना,
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही हो।
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो,
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही हो।
शिक्षा — हमें प्रतिदिन सुबह ईश्वर की प्रार्थना करनी चाहिए।
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