Moral Story: संगति का फल
सुन्दर वन में चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। मौसम कुछ ऐसा था कि कब आंधी आ जाये, इसका कोई ठिकाना नहीं था। मौसम के बदलते रूख से वन के पशु-पक्षी बेचैनी का अनुभव कर रहे थे उसी वन के निवासी एक मादा तोते ने दो अंडे दिये।
सुन्दर वन में चारों ओर हरियाली छाई हुई थी। मौसम कुछ ऐसा था कि कब आंधी आ जाये, इसका कोई ठिकाना नहीं था। मौसम के बदलते रूख से वन के पशु-पक्षी बेचैनी का अनुभव कर रहे थे उसी वन के निवासी एक मादा तोते ने दो अंडे दिये।
बहुत पुरानी बात है। एक था बादशाह बड़ा अकडू अपने आगे किसी को कुछ न समझने वाला। दूसरों को नीचा दिखाने में उसको बड़ा मजा आता था। अक्सर उसको कोई न कोई झक सवार हो जाया करती थी।
एक रात की बात है, बरसात की वह अंधेरी रात थी। एक बंदर की एक उड़ते हुए जुगनू पर नज़र पड़ गयी। उसने लपक कर उसे पकड़ लिया। बंदर ने खिसिया कर कहा, ‘भाग कर कहाँ जाओगे! डरपोक कहीं के। अंधेरे से डरते हो, तो बाहर क्यों निकलते हो?
पूरे गांव में रामप्रताप के नाम का डंका बजता था। वह उस गाँव का का जाना माना सेठ था। रोशनलाल उनका इकलौता बेटा था। उन्होने अपने पुत्र का नाम रोशन रखा था क्योंकि वे चाहते थे कि बड़ा होकर वह उनका नाम रोशन करे।
एक गांव में रामू किसान अपनी पत्नी शांति के साथ रहता था। रामू बहुत सीधा सादा और भला आदमी था। उसकी पत्नी शांति भी उसी तरह भली और नेक औरत थी। दोनों पति पत्नी घर आए महमानों की खूब खातिरदारी करते थे।
एक राजा के बारह बेटे थे। जब वे जवान हुए तो राजा ने उनसे कहा, 'जिस लड़की को तुम पसंद करोगे, उसी से तुम्हारी शादी कर दी जाएगी, लेकिन एक शर्त है। उस लड़की को एक दिन में सूत कात कर कपड़ा बुनना और कमीज सीना आता हो'।
एक जंगल था, उस जंगल में बहुत से जानवर रहते थे। शेर भी रहता था। वह बूढ़ा हो चला था। उसे शिकार करने में कठिनाई होती थी। बड़े दिनों से उसे कोई शिकार नहीं मिला था। इसलिए उसने अपने साथी ऊंट को ही अपना शिकार बना लिया।