बाल कविता 'उठो लाल!
यह कविता बच्चों को सुबह जल्दी उठने और प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेने की प्रेरणा देती है। इसमें एक माँ अपने बच्चे को प्रेमपूर्वक जगाते हुए कहती है कि अब आँखें खोलने का समय आ गया है।
यह कविता बच्चों को सुबह जल्दी उठने और प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेने की प्रेरणा देती है। इसमें एक माँ अपने बच्चे को प्रेमपूर्वक जगाते हुए कहती है कि अब आँखें खोलने का समय आ गया है।
इस कविता (Poem) में कर्म की महानता को व्यक्त किया गया है। यह कविता बच्चों को प्रेरित करती है कि वे अपने जीवन में सही मार्ग का चयन करें और सच्चाई तथा मेहनत से हर कठिनाई को पार करें।
इस कविता "ओ सूरज भैया!" में कवि शिवनारायण सिंह ने गर्मी के मौसम का चित्रण किया है, जिसमें सूरज की तेज़ धूप से लोग व्याकुल हो रहे हैं। सूरज की गर्मी इतनी बढ़ गई है कि प्यास बढ़ती जा रही है और पानी दूर कहीं नजर नहीं आता।