Moral Story: किसी का दोष न देखो
भगवान बुद्ध के एक शिष्य ने एक दिन भगवान तथागत् के चरणों में प्रणाम किया और वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। भगवान ने उससे पूछा- “तुम क्या चाहते हो?” शिष्य बोला- ''भगवन्! यदि आज्ञा दें, तो मैं देशाटन करना चाहता हूँ।''
भगवान बुद्ध के एक शिष्य ने एक दिन भगवान तथागत् के चरणों में प्रणाम किया और वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। भगवान ने उससे पूछा- “तुम क्या चाहते हो?” शिष्य बोला- ''भगवन्! यदि आज्ञा दें, तो मैं देशाटन करना चाहता हूँ।''
उसका नाम वीर बहादुर था दुबली-पतली काया और नाटे कद का स्वामी वीर बहादुर राधेपुर गांव में रहता था। वह दुनिया में अकेला था न मां बाप। पत्नी और बच्चे भी नहीं, कोई कहता कि उसने शादी नहीं की तो कोई पत्नी के चल बसने की बात कहता।
किसी गांव में धनीराम नाम का एक किसान रहता था। बह 50 बीघा जमीन का मालिक था। उसका एक खेत मुख्य सड़क के किनारे पर था। उस खेत की फसल की रखवाली वह स्वयं करता था।
नया वर्ष आने में कुछ घंटे शेष थे। टी.वी. पर विभिन्न कार्यक्रम देख चुकने पर पिंकी पलंग पर जा लेटी पर आज रात उसे नींद नहीं आ रही थी। परिवार के और सदस्य धीरे-धीरे सोने लगे थे। बाहर पटाखों का धूम-धड़ाका अभी-अभी शांत हुआ था।
बहुत समय पहले की बात है। बगदाद में एक चरवाहा रहता था। उसका नाम अबू था। उसके पास कई भेड़ बकरियां थीं, जिन्हें वह रोज़ाना पास की पहाड़ियों पर चराने ले जाता था। वैसे तो अबू एक अच्छा इंसान था।
धीरू बेटे, शाम के सात बजने वाले हैं। अंधेरा गहनता की ओर खिसक रहा है। आज मुझे कुछ जरूरी काम से जाना है। हमें घर पहुंचने में देर हो सकती है। रात के नौ-दस बज सकते हैं। सुबह से अब तक की बिक्री लगभग दस हजार की रही है।
मिंटू जिराफ इतना बदमाश एवं घमंडी हो गया था की दिनों-दिन उसकी शैतानी बढ़ती जा रही थी। वह जवान भी हो चला था। उसका शरीर बलवान एवं ताकतवर बनता जा रहा था। जंगल के जानवर अपनी गर्दन ऊंची करके ही उससे आँखे मिला पाते थे।