नैतिक कहानी: भगवान लुका-छुपी खेलते हैं
गर्मी की दोपहर थी। सूरज तेज़ था लेकिन घर के अंदर शांति और ठंडक थी। एक माँ खिड़की से बाहर देख रही थी और अचानक उसकी नजर अपनी छोटी सी बेटी पर पड़ी, जो बगीचे की घास पर लेटी हँसी से लोटपोट हो रही थी।
गर्मी की दोपहर थी। सूरज तेज़ था लेकिन घर के अंदर शांति और ठंडक थी। एक माँ खिड़की से बाहर देख रही थी और अचानक उसकी नजर अपनी छोटी सी बेटी पर पड़ी, जो बगीचे की घास पर लेटी हँसी से लोटपोट हो रही थी।
Web Stories: बच्चों, क्या आपने कभी किसी को इतना चालाक देखा है कि वो अपनी बातों से दूसरों को बेवकूफ बना ले? लेकिन क्या वो चालाकी हमेशा काम आती है? नहीं न? चलिए,