Moral Story: असली सम्राट कौन
प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री कन्फ्यूशियस जंगल में बैठे थे। अचानक ही सम्राट उधर से गुज़रा। उन्हें एकांत में बैठे देख सम्राट ने पूछा तुम कौन हो? कन्फ्यूशियस ने कहा ‘मैं सम्राट हूँ।’
प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री कन्फ्यूशियस जंगल में बैठे थे। अचानक ही सम्राट उधर से गुज़रा। उन्हें एकांत में बैठे देख सम्राट ने पूछा तुम कौन हो? कन्फ्यूशियस ने कहा ‘मैं सम्राट हूँ।’
मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूँ, जो किसी ऐसी चीज़ को नहीं अपनाते जो उन्हें खुशी दे सकती है, केवल इसलिए क्योंकि वे समझते हैं कि उनके पास समय नहीं है। वह कार्य उनकी सूची में नहीं होता।
मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि कुछ विशेष मुद्दों के बारें में लिखना तो बहुत आसान होता है लेकिन व्यवहार मे उन्हीं बातों का अनुसरण करना प्रचार करने की तुलना में कहीं अधिक कठिन होता है।
विश्वामित्र ने ऋषि, महर्षि और उसके बाद राज ऋषि तक की उपाधि पा ली थी, मगर कोई उन्हें महाऋषि का दर्जा नहीं दे रहा था। जब भी कहीं ऐसी कोई चर्चा चलती, उन्हें यही सुनने को मिलता कि महाऋषि तो वशिष्ठ हैं।
एक संत को अपना भव्य आश्रम बनाने के लिए धन की जरूरत पड़ी। वह अपने शिष्य को साथ लेकर धन जुटाने के लिए लोगों के पास गए। घूमते-घूमते वह सूफी संत राबिया की कुटिया में पहुँचे।
कौशिकांबा नगर में राजा रवि एक प्रतापी, दयालु न्यायप्रिय व महान धार्मिक स्वभाव के राजा थे। वे प्रतिदिन प्रायः स्नानादि से निवृत होकर पूजापाठ में काफी समय लगाते, जब कहीं राज्य कार्य में जुटते थे।
अकबर ने अपना शासन तेरह साल की उम्र में संभाला था। अपने शासन में अकबर ने कई बड़े अंपायर बनाए। वह अकल्पनीय चमक में रहते थे। उनके आसपास ढेरों सेवक रहते थे और उनके सेवक उनके हर शब्द को मानते थे।