दया का फल – एक प्रेरणादायक कहानी
यह कहानी हमें सिखाती है कि दया और करुणा केवल दूसरों की मदद ही नहीं करतीं, बल्कि किसी न किसी रूप में हमें भी उसका फल मिलता है। किसी पर उपकार करने से हम कभी गरीब नहीं होते, बल्कि हमारी आत्मा और ज्यादा समृद्ध हो जा
यह कहानी हमें सिखाती है कि दया और करुणा केवल दूसरों की मदद ही नहीं करतीं, बल्कि किसी न किसी रूप में हमें भी उसका फल मिलता है। किसी पर उपकार करने से हम कभी गरीब नहीं होते, बल्कि हमारी आत्मा और ज्यादा समृद्ध हो जा
बहुत पुरानी बात है। राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक गांव में रामू पटेल नाम का एक किसान रहता था। वह अपनी मेहनत और ईमानदारी के लिए गांव में जाना जाता था, लेकिन एक समस्या थी
गर्मियों की दोपहर थी। एक हरा-भरा गांव, जहां खुली हवा, हरे-भरे खेत और तालाब के किनारे खेलते बच्चे खुशियों से भरे रहते थे। उसी गांव में मधु नाम का एक चंचल और नटखट लड़का रहता था।
एक बार की बात है, भारत के तराई क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ गया। वहां के पक्षियों का राजा, जो हिमालय पर रहता था, ने सभी पक्षियों को खाने की खोज में भेज दिया। उसने कहा, "जाओ और खाने का जुगाड़ करो और वापस आओ
एक समय की बात है, राजा वीरेंद्र नामक एक बहादुर राजा था जो अपनी प्रजा के लिए बहुत कुछ करने के इच्छुक थे। उनका राज्य बहुत समृद्ध और खुशहाल था, लेकिन एक चीज जो राजा वीरेंद्र को हमेशा परेशान करती थी
एक बार भगवान बुद्ध ने हिमालय के जंगलों में सफेद हाथी बोधीसत्व के रूप में जन्म लिया, लेकिन हाथियों के जिस झुंड में ये सफेद हाथी रहता था, वे लोग बहुत ही निदर्यी थे, वे मासूम लोगों की बेवजह हत्या कर देते थे।
कही एक इंजीनियर रहता था, जो नहर का कार्यभार संभालता था। वही आदेश देता था कि किस क्षेत्र में पानी देना है। वह बहुत ईमानदार था । एक बार एक किसान ने उसे 1000 रुपये एक लिफाफे में देते हुए कहा,