हिंदी प्रेरक कहानी: संतरे का टोकरा
रवि गरीब लड़का था। उसके पिताजी का निधन हो चुका था। उसकी माता घर पर सिलाई मशीन चलाकर मुहल्ले वालों के कपड़े सिलकर अपना तथा रवि का गुजारा चलाया करती।
रवि गरीब लड़का था। उसके पिताजी का निधन हो चुका था। उसकी माता घर पर सिलाई मशीन चलाकर मुहल्ले वालों के कपड़े सिलकर अपना तथा रवि का गुजारा चलाया करती।
दक्षिण भारत के राजा थे, उनका नाम था चेर। कम्बन उनके राजकवि थे। कम्बन ने ही तमिल में रामायण लिखी थी। राजा चेर के दरबार में बहुत से कवि थे। लेकिन राजा कम्बन को सबसे ज्यादा मानते थे।
यह एकदम सच्ची और प्रेरक घटना है, हालांकि घटना थोड़ी पुरानी है, यानि अंग्रेजी राज्य के समय की जब हमारा देश गुलाम था। गोरे किसानों पर बहुत अत्याचार करते थे, उनसे लगान लेते थे और उन्हें अकारण अपमानित करते थे।
किसी इलाके में एक जमींदार रहता था। उसके पास अपार धन-सम्पत्ति थी। जमीदार के दो पत्नियां थीं, माधवी और सुनंदा। माधवी से जमींदार के पांच पुत्र हुए- अमल, श्वेत, पलक, धीर और त्यागी।
रामगढ़ रियासत के राजा का नाम समर सेन था। वह बहुत दयालु था। एक बार राजा समर सेन शिकार खेलने अकेले जंगल में गया। शिकार खेलते हुए वह काफी दूर निकल गया और वापस लौटते समय रास्ता भटक गया।
एक था राजा, जिसे देश-विदेश के किस्म-किस्म के रंग-बिरंगे पक्षी पालने का बड़ा शौक था। अपने इस शौक के खातिर वह खूब दौलत खर्च किया करता। प्रजा के कई लोग रात-दिन जंगलों मे जाते और जाल बिछाकर कई पक्षियों को कैद कर लेते।
एक किसान था, वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था। उस खेत के बीचों-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था।