हिंदी जंगल कहानी: जंगल में चुनाव
पिछले कुछ दिनों से बंकट वन में बहुत चहल-पहल है। इसका कारण है जंगल में होने वाला चुनाव। जंगल के राजा शेर सिंह ने खुद घोषणा की है कि वह जंगल में लोकतंत्र लाना चाहते हैं।
पिछले कुछ दिनों से बंकट वन में बहुत चहल-पहल है। इसका कारण है जंगल में होने वाला चुनाव। जंगल के राजा शेर सिंह ने खुद घोषणा की है कि वह जंगल में लोकतंत्र लाना चाहते हैं।
निशु चूहे से बिल्लियां अब डरने लगीं थीं। निशु ने काम ही ऐसे किए थे। उसने कई बार बिल्लियों की गुदगुदी की थी कबड्डी खेलने की कोशिश की थी, और उनकी आंखों में धूल झोंक दी थी। और हर बार वह बच निकला था।
सुबह का समय था। चारों ओर चटक धूप फैली हुई थी। क्यों न हाथी के ढाबे पर चाय पी जाए। चीकू खरगोश ने सोचा और ढाबे की तरफ चल पड़ा। "नमस्ते एनी भाई" वह मुस्कुराते हुए हाथी से बोला।
बहुत समय पहले भालू की लंबी एवं चमकदार पूंछ हुआ करती थी। भालू को इस पर बड़ा घमंड था। वह सभी से पूछता था कि आज मेरी पूंछ कैसी लग रही है? अब कोई भालू से पंगा लेता क्या भला?
चुनमुन चूहा बहुत ही पेटू था। उसे हर समय सिर्फ खाने की ही फिक्र लगी रहती थी। खाने की लालच में कभी-कभी तो वह अपने पड़ोसियों के घरों में भी घुस जाता था और जो भी खाना उसे नजर आता, वह फौरन चट कर जाता।
किसी पहाड़ी के समीप हरे-भरे वृक्षों वाला उपवन था। उपवन में पोखर था। पोखर में एक मेंढक रहा करता था। वह पोखर भर में खूब चहलकदमी करता। उपवन की हरियाली उसे बेहद भाती थी।
एक था सियार। बेहद कामचोर और आलसी। दिन भर अपनी मांद में पड़ा रहता था। उसकी पत्नी भी उससे परेशान थी। बच्चों के लिए खाना उसे ही लाना पड़ता था। लेकिन ऐसे कितने दिनों तक चलता।