जंगल कहानी : जंगल में स्कूल
Web Stories: सुन्दर बन्दर के वन की जनसंख्या बहुत कम थी, सुन्दर बन्दर अपने पिता के साथ उसी वन में रहता था। उसकी बन्दरिया माँ उसको बचपन में ही छोड़ गई थी।
Web Stories: सुन्दर बन्दर के वन की जनसंख्या बहुत कम थी, सुन्दर बन्दर अपने पिता के साथ उसी वन में रहता था। उसकी बन्दरिया माँ उसको बचपन में ही छोड़ गई थी।
Web Stories: दिल छू लेने वाली कहानी : पॉजिटिविटी: एक नर्स लंदन में ऑपरेशन से दो घंटे पहले मरीज़ के कमरे में घुसकर कमरे में रखे गुलदस्ते को संवारने और ठीक करने लगी।
Web Stories: जंगल की कहानी : झुमकू ने चोर पकड़ा:- झुमकू बन्दर अक्सर जासूसी की किताबें पढता रहता था। वह चाहता था कि वह एक महान जासूस बने उसका सारी दुनिया में नाम हो
सुन्दर बन्दर के वन की जनसंख्या बहुत कम थी, सुन्दर बन्दर अपने पिता के साथ उसी वन में रहता था। उसकी बन्दरिया माँ उसको बचपन में ही छोड़ गई थी। सुन्दर बन्दर को बचपन से ही पढ़ने का बड़ा शौक था। उसने अपने पिता से ज़िद करके जंगल से दूर एक स्कूल में दाखिला ले लिया था
जंगल की कहानी : झुमकू ने चोर पकड़ा:- झुमकू बन्दर अक्सर जासूसी की किताबें पढता रहता था। वह चाहता था कि वह एक महान जासूस बने उसका सारी दुनिया में नाम हो और एक रात उसे जासूसी करने का अवसर हाथ लग ही गया । उस रात वह अपने दोस्त के घर से जन्मदिन की पार्टी से लौट रहा था। काफी देर हो चुकी थी, चारों ओर अँधेरा व सन्नाटा था। तभी सन्नाटे की आवाज से झुमकू चैंक उठा।
जंगल की कहानी | रोबिन खरगोश की तरकीब:- रोबिन खरगोश अपनी ही मस्ती में चला जा रहा था। उछलना कूदना तो उसकी आदत में ही था। सीधा चलना तो जैसे उसने सीखा ही न था। चलते चलते कंकर पत्थरों को ठोकर मारना और छोटे पौधों के पत्तो पर अपने दांत जमाना उसका शौक था।
दिल छू लेने वाली कहानी : पॉजिटिविटी: एक नर्स लंदन में ऑपरेशन से दो घंटे पहले मरीज़ के कमरे में घुसकर कमरे में रखे गुलदस्ते को संवारने और ठीक करने लगी।
Motivational : शहर के पास वाली बस्ती में एक छोटा सा गरीब नेत्रहीन लड़का रहता था। वो रोज़ सुबह मुख्य सड़क के किनारे एक तख्ती लेकर बैठ जाता था। तख्ती पर लिखा था, "मेरी मदद कीजिये, मैं एक गरीब अंधा लड़का हूँ।" दिन भर वो लड़का वहीं बैठा रहता लेकिन लोग उसपर ध्यान नहीं देते थे। कभी कभार कोई एक दो रुपये उसके कटोरे में डाल देता था। शाम को वो थक हार कर अपनी झोपड़ी में लौट जाता था। ऐसा वो रोज़ करता था। एक दिन वो सड़क के किनारे हमेशा की तरह बैठा था कि तभी वहाँ से एक व्यक्ति गुज़रा। उसकी नज़र उस गरीब, नेत्रहीन बच्चे और उसकी तख्ती पर पड़ी ।
राहुल का दिमाग पढ़ाई में ठीक था लेकिन वह मेहनत से ज्यादा अपनी किस्मत पर भरोसा करता था। जब भी उसे कोई समझाने की कोशिश करता। तो वह कहता था, अरे अगर मेरी किस्मत में पास होने लिखा होगा तो मैं ऐसे ही पास हो जाऊँगा और अगर मेरी किस्मत में फेल होना लिखा है तो चाहें मैं कितनी भी मेहनत क्यों न करूँ, मुझे दुनिया की कोई ताकत पास नहीं कर सकती। राहुल के मम्मी-पापा उसे बहुत समझाते लेकिन वह एक कान से सुनता और दूसरे सेे निकाल देता।