आईना जो सच दिखाए: परी को मिली सीख
परी नाम की एक छोटी और प्यारी लड़की थी, लेकिन उसकी एक आदत सबको परेशान कर देती थी—गुस्सा। बात-बात पर उसका गुस्सा फूट पड़ता। उसकी मां उसे हमेशा समझातीं,
परी नाम की एक छोटी और प्यारी लड़की थी, लेकिन उसकी एक आदत सबको परेशान कर देती थी—गुस्सा। बात-बात पर उसका गुस्सा फूट पड़ता। उसकी मां उसे हमेशा समझातीं,
बरसात का मौसम आने वाला था। आसमान में बादल उमड़-घुमड़ रहे थे, और हवा में नमी बढ़ गई थी। एक नन्ही चिड़िया, जो अपने बच्चों के साथ नदी किनारे एक सुरक्षित आश्रय ढूंढ रही थी, वह पेड़ों की ओर जा पहुँची।
बच्चों हमारी जिन्दगी में आशीर्वाद बहुत कीमती होता है। इसमें आशीष देने वालों का ढ़ेरों प्यार छिपा होता है। इसी संदर्भ में एक कहानी है कि एक बार एक गुरू घूमते-घूमते गांव पहुंचे तो लोगों ने ढेरों स्वागत किया।
एक महर्षि थे। उनकी काफी ख्याति थी। कृष्णा नदी के किनारे उनका आश्रम था, जहां कई शिष्य रहकर विद्याध्ययन करते थे। एक दिन महर्षि ने अपने एक शिष्य से कहा, निकट के गांव में जाकर जरूरत की सारी चीजें खरीद लाओ।
कितनी बार कहा है कि केले खाकर छिलके सड़क पर न फेंका कर पर तू है कि एक कान से सुनी और दूसरी कान से निकाल दी। मां ने नीटू को डांटते हुए कहा। अव्वल दर्जे का शरारती नीटू केले खाकर छिलके खिड़की से सड़क पर फेंक रहा था।
एक साधु थे, वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करते थे, “जो चाहोगे सो पाओगे, जो चाहोगे सो पाओगे”। बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीं देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे।
प्रदीप की मां ने रामू को बाजार से सामान लाने के लिये रूपये और थैला पकड़ा दिया। रामू 15-16 वर्षीय किशोर था और बचपन से ही घर में काम करता था। रामू जब बाजार से खरीदारी करके लौट रहा था।