टिड्डे और चींटी की सीख: मेहनत का फल सदा मीठा होता है
पतझड़ का मौसम अपने अंतिम चरण में था। जंगल के हर कोने में हलचल थी। सभी जानवर और कीड़े-मकोड़े सर्दियों के लिए अपने भोजन का भंडारण कर रहे थे। पक्षी पत्तियों से गिरे बीज उठा रहे थे,
पतझड़ का मौसम अपने अंतिम चरण में था। जंगल के हर कोने में हलचल थी। सभी जानवर और कीड़े-मकोड़े सर्दियों के लिए अपने भोजन का भंडारण कर रहे थे। पक्षी पत्तियों से गिरे बीज उठा रहे थे,
एक घने जंगल में, दो उल्लू एक पुराने पेड़ की मोटी डाल पर आ बैठे। दोनों उल्लू अपने-अपने शिकार को पकड़े हुए थे। पहले उल्लू के मुँह में एक फुफकारता हुआ साँप था, जो उसके सुबह के नाश्ते के लिए लाया गया था।
जंगल का एक कोना हमेशा शांत रहता था। यहां ऊँचे-ऊँचे पेड़, मीठे झरने, और पक्षियों की चहचहाहट का साम्राज्य था। इसी जंगल में एक छोटी सी चींटी रहती थी, जिसका नाम मिठू था।
बच्चों आज हम आपको शेर और बकरी की एक कहानी सुनाते हैं। उस दिन जंगल के राजा शेर को कोई शिकार नहीं मिला। भूख के मारे वो जंगल से बाहर आ कर शिकार ढूंढने लगा।
एक घने जंगल में नागराज अपनी मणि के साथ सुखी जीवन बिता रहा था। वह मणि उसकी पहचान और ताकत का प्रतीक थी। हर रात जब वह शिकार के लिए निकलता, मणि उसकी शक्ति और आभा को बढ़ा देती।
ज्ञान का बंटवारा - किसी जमाने में जंगल के जानवर बेहद भोले-भाले और अज्ञानी थे। उन्हें न तो सही तरीके से अपना पेट भरने की समझ थी और न ही मुसीबत में अपनी जान बचाने की कला। शिकारियों के जाल में फंसकर वे अपनी जान गंवा बैठते थे।
दो बड़ी मछलियां सहसराबुद्धि और सताबुद्धि एक बड़े तालाब में रहती थी। दोनों एक मेंढक एकाबुद्धि की बहुत अच्छी दोस्त थी। तीनों तालाब में बहुत अच्छा वक्त बीताते थे।