हिंदी नैतिक कहानी: किताबें और ज्ञान केवल पुस्तकें पढ़ लेने से ही कोई व्यक्ति अच्छे रूप से ज्ञानी नहीं हो जाता। जीवन में कई अन्य कुशलताओं का भी उतना ही महत्व है। प्रोफेसर राव को इस बात का ज्ञान काफी समय के बाद हुआ। By Lotpot 16 Jul 2024 in Stories Moral Stories New Update किताबें और ज्ञान Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 हिंदी नैतिक कहानी: किताबें और ज्ञान:- केवल पुस्तकें पढ़ लेने से ही कोई व्यक्ति अच्छे रूप से ज्ञानी नहीं हो जाता। जीवन में कई अन्य कुशलताओं का भी उतना ही महत्व है। प्रोफेसर राव को इस बात का ज्ञान काफी समय के बाद हुआ राव एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर आसीन थे। अपने विषय के ज्ञान के लिये उन का शिक्षित समाज में बहुत आदर और सम्मान किया जाता था। अधिकांश उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति व्यवहार कुशल भी हो जाते हैं, पर प्रोफेसर राव के साथ ऐसा नहीं था। वह हर उस व्यक्ति को... अधिकांश उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति व्यवहार कुशल भी हो जाते हैं, पर प्रोफेसर राव के साथ ऐसा नहीं था। वह हर उस व्यक्ति को जो उनसे कम पढ़ा लिखा हो उसे वह निरादर की दृष्टि से देखते थे। नदी के तट पर आकर प्रोफेसर राव ने एक मल्लाह से पूछा कि वह उन्हें नदी के उस पार पहुंचा देगा। मल्लाह ने स्वीकृति दी क्योंकि यही तो उसका रोज़गार था “तुम्हारी नाव बहुत गन्दी है, तुम्हें शायद किसी स्कूल में शिक्षा नहीं मिली अन्यथा तुम सफाई का महत्व जानते होते” प्रोफेसर राव ने मल्लाह को भड़कते हुए कहा “नाव ठीक है”। “चालू है” मल्लाह ने उत्तर दिया। उत्तर से प्रोफेसर राव को बड़ी निराशा हुई। उन्होंने क्रोधित होकर कहा, “तुम्हें भाषा और व्याकरण का कुछ भी ज्ञान नहीं है। तुमने अपना आधा जीवन व्यर्थ ही बर्बाद कर दिया”। मल्लाह चुपचाप नाव चलाता रहा। अचानक आकाश पर काले बादल घिर आए। तेज हवा के कारण नाव बुरी तरह हिलने लगी। “तूफ़ान आने वाला है, हो सकता है कि नाव डूब जाएगी, आशा है आपको तैरना आता होगा?” मल्लाह ने प्रश्न किया। “नहीं मुझे तैरना नहीं आता” घबराए हुए प्रोफेसर राव ने उत्तर दिया। “तब तो आपने अपना सारा जीवन ही व्यर्थ बर्बाद कर दिया। आपका पुस्तकी ज्ञान आपको बचाने में आपकी कोई सहायता नही कर पायेगा”। प्रोफेसर राव को पसीना आ गया। उन्हें मृत्यु सामने दिखाई देने लगी। प्रोफेसर राव ने इस बार बड़े आदर पूर्वक मल्लाह से कहा, “मुझे बचा लो। मैं तुम्हारी कुशलता का बहुत आदर करता हूँ। केवल तुम्हारी योग्यता ही मेरी जान बचा सकती है” मल्लाह पूरे आत्म विश्वास से नाव चलाता रहा। थोड़ी ही देर में वे सुरक्षित नदी तट पर पहुँच गये। एक घटना ने ही प्रोफेसर राव की आखें खोल दीं थीं। जीवन में केवल किताबी ज्ञान ही सब कुछ नहीं होता। अन्य कुशलताओं का भी उतना ही महत्व है। कहानी से सीख:- हमें उस ज्ञान और उन कुशलताओं के प्रति भी आदर भाव रखना चाहिये जो दूसरों मैं हैं किन्तु हममें नहीं है। यह भी पढ़ें:- हिंदी नैतिक कहानी: जीवन की सीख Moral Story: तीन मूर्ख बच्चों की हिंदी प्रेरक कहानी: बहुरूपिया Jungle Story: सफलता का रहस्य #सीख देती कहानी #Short moral stories in hindi #Hindi Bal Kahani #Hindi Moral Story #बच्चों की नैतिक कहानी #छोटी हिंदी कहानी #Kids Hindi Story #हिंदी नैतिक कहानी #हिंदी बाल कहानी You May Also like Read the Next Article