Moral Story: तीन मूर्ख बहुत समय पहले हरिपुर में एक राजा राज करता था। उसका नाम सुप्रताप सिंह था। यों सुप्रताप सिंह के पास प्रजा की भलाई के लिए अनेक काम थे। जैसे की वह जगह-जगह धर्मशाला बनवा सकता था, तालाब खुदवा सकता था। By Lotpot 17 Apr 2024 in Stories Moral Stories New Update तीन मूर्ख Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Moral Story तीन मूर्ख:- बहुत समय पहले हरिपुर में एक राजा राज करता था। उसका नाम सुप्रताप सिंह था। यों सुप्रताप सिंह के पास प्रजा की भलाई के लिए अनेक काम थे। जैसे की वह जगह-जगह धर्मशाला बनवा सकता था, तालाब खुदवा सकता था, भ्रष्टाचार और बेईमानी को दूर करने के उपाय सोच सकता था, पर राजा व्यर्थ की बातें अधिक सोचता था। (Moral Stories | Stories) एक बार उसने अपने मंत्री को आज्ञा दी कि राज्य में जितनी मछलियां अलग-अलग तालाबों में हैं। उन सभी को इकट्ठा करके एक बड़े तालाब में छोड़ दिया जाए। बेचारा मंत्री कर भी क्या सकता था। उसे राजाज्ञा का पालन तो करना ही था। महीने भर में बड़ी कठिनाई से यह कार्य पूरा हो गया। परेशान मंत्री ने सेनापति से सारी बातें कहीं। सेनापति ने राज्य के सारे मंत्रियों को बुलाया और गोष्ठी की। सभी ने एक मत से यही निर्णय लिया कि राजा को एक बार अच्छी तरह सबक सिखाना चाहिए। इस तरह सभी का श्रम और समय बरबाद होता है। इतना श्रम और समय प्रजा की भलाई में लगाया जाए तो उससे कुछ लाभ भी हो। अभी इस घटना को दो ही महीने बीते थे कि राजा ने सेनापति को बुलाया और आज्ञा दी "सेनापति, राज्य भर में जो तीन सबसे बडे मूर्ख हों, उन्हें एक महीने में दरबार में लाकर उपस्थित करो, पर ध्यान रखना, उनसे बड़े मूर्ख कही ढूंढे ना मिलें, नहीं तो तुम्हारा सिर सलामत नहीं रहेगा"। "पर आप उन मूर्खों का करेंगे भी क्या महाराज?" सेनापति ने मन ही मन कुढ़ते हुए पूछा। (Moral Stories | Stories) "अरे करेंगे क्या? उन तीन मूर्खराजों में एक को "मूर्खाधिराज," दूसरे को "मूर्ख भूषण" और तीसरे को "मूर्ख शिरोमणि" की उपाधि देंगे और एक-एक जागीर देंगे"। राजा ने दम्भ से मुंह फुलाते हुए कहा। सेनापति मूर्खों की तलाश में चला गया, पर मन ही मन वह सोचता जा रहा था कि अबकी बार तो राजा को अच्छा सबक सिखाना है। बीस-पच्चीस दिन बाद सेनापति घूमकर लौटा। वह सीधा राजसभा में जा पहुंचा। दरबार में सभी मंत्री अपने सिंहासनों पर बैठे थे। सेनापति को देखते ही राजा ने पूछा "कहिए, खोज पूरी हुई आपकी?" "जी महाराज!" सेनापति ने झुककर प्रणाम करते हुए कहा और अपने पीछे खड़े हुए आदमी की ओर इशारा किया। "हा-हा-हा-! तो ये हैं हमारे राज्य के सबसे बड़े मूर्ख"। राजा अट्ठहास करते हुए बोला, "सुनें तो क्या मूर्खता का काम किया है इस पहले मूर्ख यानी मूर्खाधिराज ने"। (Moral Stories | Stories) सेनापति कहने लगे, "राजन! इस व्यक्ति का परिवार भूख से बिलख रहा है। बच्चे रो रहे हैं। पत्नी भी हड्डियों का ढांचा भर... सेनापति कहने लगे, "राजन! इस व्यक्ति का परिवार भूख से बिलख रहा है। बच्चे रो रहे हैं। पत्नी भी हड्डियों का ढांचा भर रह गई है, पर यह फिर भी कार्य नहीं करता। इससे किसी ने कह दिया था कि प्रसन्न होने पर देवी माता धन की वर्षा करती हैं। बस सारा काम छोड़ कर यह एक वर्ष तक देवी माता को रिझाता रहा, पर काम न करने वालों की देवी-देवता भी कभी सहायता किया करते हैं? इसे धन न मिलना था, न मिला। इस बीच घर का सामान बिक गया, पेट तो आखिर भरना ही था न। एक महीने पहले इसने किसी को कहते सुना था कि पैसा पैसे को खींचता है। बस फिर क्या था, उसने तुरन्त एक साहूकार के यहां नौकरी कर ली। जब भी यह खाली होता, जेब से रूपया निकालकर धन से भरी तिजोरी के छेद पर लगाने लगता। इसे पूरा विश्वास है कि एक न एक दिन इसका रूपया तिजोरी के रूपयों को खींच लेगा। इसी चक्कर में इसके 1 हज़ार रूपए हाथ से छूटकर तिजोरी में गिर चुके हैं"। (Moral Stories | Stories) सेनापति की बातें सुनकर सारे दरबारी हंसे बिना न रह सके। राजा ने तुरंत अपने गले का बहुमूल्य रत्नों का हार उतारकर उस 'मूर्खाधिराज' के गले में पहना दिया। सभी को उत्सुकता होने लगी कि अब देखें कि दूसरा और तीसरा मूर्ख कौन है? तभी राजा ने आज्ञा दी "अब दूसरे मूर्ख यानी मूर्ख भूषण को प्रस्तुत किया जाए"। कुछ झिझकते हुए सेनापति ने कहा "महाराज! हमारे राज्य के दूसरे और तीसरे मूर्ख इस दरबार में ही मौजूद हैं"। (Moral Stories | Stories) "हमारे दरबार में?" राजा ने आश्चर्य से प्रश्न किया "कौन हैं वे?" "महाराज! मैं उनका नाम नहीं ले सकता नहीं तो वे मुझे मरवा देंगे"। सेनापति बोला। "अरे, मेरे रहते तुम प्राणों की चिन्ता मत करो"। राजा ने आश्वासन देते हुए कहा। "तो महाराज, बुरा न मानें, राज्य के दूसरे मूर्ख यानी मूर्ख भूषण आप ही हैं"। "क्या मतलब?" राजा ने गुस्से से भरकर पूछा। (Moral Stories | Stories) "मतलब बिल्कुल साफ है। जो राजा विद्वानों की खोज न करवाकर मूर्खों की खोज कराए, विद्वानों को पुरस्कार न देकर मूर्खों को दे, उसे और कहा भी क्या जाएगा?" सेनापति ने गम्भीर होते हुए कहा। "और तीसरा मूर्ख यानी मूर्ख शिरोमणि कौन है?" राजा ने उत्सुकता से पूछा। "वह मैं ही हूं, जो मूर्खों को ढूंढने निकला ऐसा करने से मैंने अपना पद ही क्यों न त्याग दिया?" मूर्ख स्वामी की सेवा करने वाले कर्मचारी भी धीरे-धीरे मूर्ख बन जाते हैं"। सेनापति पूर्ववत गम्भीर स्वर में कह रहा था और सारे दरबारी सिर हिलाकर समर्थन कर रहे थे। सेनापति की बातों से राजा की आंखें खुल गई। उसने भरी सभा में प्रतिज्ञा की कि अब ऐसे व्यर्थ के कामों में वह समय और शक्ति बरबाद नहीं करेगा। मंत्री सेनापति सभी राजा के इस निर्णय से बड़े प्रसन्न हुए। इसके बाद राज्य के किसी कर्मचारी को फिर राजा की कोई सनक नहीं सहनी पड़ी। (Moral Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | Hindi kahaniyan | kids short stories | kids hindi short stories | short moral stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | Kids Hindi Moral Stories | kids hindi stories | Kids Moral Stories | Kids Stories | Moral Stories | Moral Stories for Kids | hindi stories for kids | hindi stories | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बाल कहानी | हिंदी कहानियाँ | छोटी नैतिक कहानियाँ | छोटी कहानी | छोटी कहानियाँ | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | बच्चों की नैतिक कहानियाँ यह भी पढ़ें:- Moral Story: नकलची Moral Story: भगवान का जन्म Moral Story: विश्वासघात Moral Story: कहां से आया जूता #बाल कहानी #लोटपोट #Lotpot #Bal kahani #Hindi kahaniyan #Bal Kahaniyan #Kids Moral Stories #Moral Stories #Hindi Bal Kahani #Moral Stories for Kids #Kids Stories #बच्चों की नैतिक कहानियाँ #lotpot E-Comics #हिंदी बाल कहानी #छोटी हिंदी कहानी #hindi stories #Kids Hindi Moral Stories #hindi short Stories #Short Hindi Stories #short stories #हिंदी कहानियाँ #kids hindi stories #hindi stories for kids #छोटी कहानियाँ #छोटी कहानी #short moral stories #Hindi Bal Kahaniyan #बाल कहानियां #kids hindi short stories #लोटपोट ई-कॉमिक्स #हिंदी बाल कहानियाँ #kids short stories #छोटी नैतिक कहानियाँ #बच्चों की हिंदी कहानियाँ You May Also like Read the Next Article