हिंदी नैतिक कहानी: असाधारण पालतू मित्र:- अम्मा मोहल्ले की कोई सामान्य वृद्ध महिला नहीं थी। आस पड़ोस के सभी बच्चे और स्त्रियां उन्हे सम्मान पूर्वक अम्मा कह कर सम्बोधित करते थे। वे अपने बेटे और पुत्र वधु के साथ रहती थीं, किन्तु उनका अधिकांश समय मोहल्ले में घर घर जाने में व्यतीत होता था। अपनी दो वर्षीय पोती की देखभाल अम्मा ही करती थीं अम्मा का दिन काफी जल्दी शुरू हो जाता था। बिस्तर से उठते ही वे सामने के पार्क में चली जाती थी वहां चिड़िया बाजरे के दाने के लिये उनकी प्रतीक्षा कर रही होतीं थीं। घर वापस आते ही उनके द्वार पर सड़क का कुत्ता लैकी उनका अगवाई करता। अम्मा उसे रात की बची हुई रोटियां थोड़े से दूध में भिगो कर खिला देती जैसे-जैसे समय बीतता जाता नये-नये आगन्तुक आते रहते। एक गाय आती जिसे अम्मा आटे की लोई अपने हाथ से खिला देतीं। उनका शेष समय छोटी पोती की देख भाल में गुजर जाता बीच-बीच में कई बार मोहल्ले की कुछ औरतें आ जातीं, कोई अचार डालने की विधि जानना चाहता तो कोई अन्य घर के बीमार बच्चे के लिये कोई घरेलू नुस्खे पूछती। एक सामान्य सुबह थी किन्तु अम्मा अभी तक बिस्तर से नहीं उठी थीं उनका पुत्र उन्हें उठाने के लिये गया तो... एक सामान्य सुबह थी किन्तु अम्मा अभी तक बिस्तर से नहीं उठी थीं उनका पुत्र उन्हें उठाने के लिये गया तो यह देखकर गुमसुम रह गया कि अम्मा अब जीवित नहीं थीं। शायद रात में सोते समय ही किसी समय उनके हृदय की गति रूक गयी थी। अम्मा की मृत्यु का समाचार शीघ्र ही सारे मोहल्ले में फैल गया। पड़ोस के सभी लोग एकत्र हो गये। अम्मा का शरीर बाहर आगंन में रख दिया गया। पार्क से उड़ कर चिड़ियों का झुंड घर के बाहर की दीवार पर बैठ गया। लैकी जो रात भर भौंकता रहता था एक दम शान्त हो गया। कुछ देर बाद गाय भी आई किन्तु चुप-चाप चली गई। एकत्र लोगों ने इन सभी आगन्तुकों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। दोपहर को अम्मा के शरीर को अन्तिम क्रिया के लिये घर से शमशान ले जाया गया। अगले दिन सब कुछ सामान्य हो गया। किन्तु पार्क में चिड़ियों का झुंड नहीं आया। लैकी भी उस रात नहीं भौंका और गाय भी आटे की लोई खाने नही आई। अम्मा ने न तो चिड़ियों को पिजड़े में बन्द किया था और न तो लैकी के गले में कोई पट्टा डाला था। उन्होंने गाय के गले में भी कोई रस्सी नही बांधी थी पर वे सभी अम्मा से किसी विशेष ममता से बधें हुये थे- वे सभी पालतू मित्र पड़ोस के लोगों की तुलना में निश्चय ही असाधारण थे। इसलिए तो कहा जाता है कि पशु-पक्षी जानवर इत्यादि सच्चे मित्र होते हैं। यह भी पढ़ें:- हिंदी नैतिक कहानी: किताबें और ज्ञान हिंदी नैतिक कहानी: अपनी अपनी रूचि बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी: काम की गुणवत्ता Moral Story: संदीप की सूझ बूझ