/lotpot/media/media_files/I95vxvlAmrHtSdmh49mY.jpg)
अपनी अपनी रूचि
हिंदी नैतिक कहानी: अपनी अपनी रूचि:- रीता और रंजन भाई-बहन थे। उनके पिता जी का तो व्यापार था। इसलिए वे अपने व्यापार में व्यस्त रहते थे। महीने में पंद्रह दिन तो व्यापार के सिलसिले में बंगलौर रहते थे। घर में मां का ही हुक्म चलता था। मां उनकी अध्यापिका थी और बच्चों पर कठोर अनुशासन रखने के पक्ष में थी। उनकी इच्छा थी कि उनके बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ें और अच्छे अंकों में पास भी हों ताकि वे अपने सहयोगियों और रिश्तेदारों में गर्व से सिर ऊंचा करके कह सकें कि मैं अपने बच्चों की पढ़ाई कितने मन से करवा रही हूं। देखना बड़े होकर मेरे बच्चे हमारा नाम रोशन करेंगे। (Moral Stories | Stories)
दिसम्बर के महीने में बच्चों के टेस्ट हुए एक सप्ताह बाद रिजल्ट आया। स्कूल से आते हुए रास्ते में रंजन तो खुशी से झूमता हुआ आ रहा था लेकिन रीता चुपचाप सिर झुकाए चली जा रही थी। घर पहुंचते ही मां ने रीता से रिपोर्ट-कार्ड मांगा। अंक देखते ही वह गुस्से से उबल पड़ी। निकम्मी लड़की गणित और विज्ञान में इतने कम अंक लिए हैं। मन लगा कर तो पढ़ती ही नहीं। फिर वह रंजन को पुकारने लगी। रंजन का रिपोर्ट-कार्ड देखकर बहुत खुशी हुई मां को, कहने लगी देखा मेरा बेटा पढ़ने में कितनी रूचि लेता है। इस बार भी इसके गणित और विज्ञान में शत प्रतिशत अंक आए हैं। तुम पर इतना पैसा खर्च करना ही व्यर्थ है। तुम मन से तो पढ़ती नहीं हो।
रीता बेचारी हर बार की तरह इस बार भी भाई के हाथो पराजय पा गई और मां की डांट, फिर भी उसने...
रीता बेचारी हर बार की तरह इस बार भी भाई के हाथो पराजय पा गई और मां की डांट, फिर भी उसने धीमे स्वर में कहा- "मां, ड्रांइग में तो मेरे अंक सारी कक्षा में सबसे अच्छे हैं"। मां बोली ड्रांइग भी कोई विषय है। रंजन की तरह गणित, विज्ञान या अंग्रेजी में अंक अधिक पाती तो कुछ बात भी थी। (Moral Stories | Stories)
रीता मन ही मन में सोचने लगी कि मां हमेशा रंजन से मेरी तुलना करती हैं जैसे मैं उनकी बेटी नहीं, वैसे मां-बाप बेटी को हर बात में यही समझते हैं कि तुम कमजोर हो बेटा हमारा होशियार है। पर रीता के साथ ऐसा नहीं है। उसकी मां की महत्वाकांक्षा है कि उसकी बेटी भी बेटे की तरह ऊंची पढ़ाई करे ताकि मैं उस पर गर्व महसूस कर सकूं।
जब वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट आया तभी भी रीता के ड्राइंग में ही अधिक अंक आए। कुछ दिन बाद ही रीता के स्कूल वालों ने शिक्षक-अभिभावक संघ की बैठक बुलाई। उसमें सब बच्चों के माता पिता गए। रीता के माता पिता भी गए।
बैठक समाप्त होने के बाद स्कूल के प्रधानाचार्य जी ने सब अभिभावकों से अनुरोध किया कि स्कूल के बच्चों के हस्तशिल्प की प्रदर्शनी में रीता की बनाई तस्वीरें सबसे अधिक प्रशंसित हुई और रीता को पुरस्कार भी मिला। प्रधानाचार्य ने रीता को शाबाशी देते हुए उसके माता-पिता से कहा कि यह लड़की अपनी ड्राइंग के द्वारा एक दिन बहुत नाम कमाएगी। रीता मन में प्रसन्न हो रही थी। और उसकी मां को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और रीता को शाबाशी मिली। (Moral Stories | Stories)
lotpot | lotpot E-Comics | majedar bal kahani | Bal Kahani in Hindi | Best Hindi Bal kahani | Hindi Bal Kahaniyan | bal kahani | Bal Kahaniyan | choti majedar hindi kahani | choti hindi kahani | kids hindi kahaniyan | kids hindi kahani | bachon ki hindi kahaniyan | hindi kahani | short hindi stories for kids | short hindi moral story | Short Hindi Stories | Hindi Moral Story | Kids Hindi Moral Stories | bachon ki naitik kahaniyan | bachon ki naitik kahani | hindi naitik kahaniyan | choti hindi naitik kahani | hindi naitik kahani | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बच्चों की बाल कहानियां | मजेदार बाल कहानियां | छोटी बाल कहानी | मज़ेदार बाल कहानी | मजेदार बाल कहानी | बाल कहानी | बाल कहानियां | प्रेरक हिंदी कहानी | बच्चों की हिंदी नैतिक कहानियाँ | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | मजेदार छोटी हिंदी कहानी | छोटी हिंदी नैतिक कहानी | छोटी हिंदी कहानियाँ | बच्चों की छोटी हिंदी कहानी | छोटी हिंदी कहानी | बच्चों की हिंदी कहानी | बच्चों की हिंदी नैतिक कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | बच्चों की नैतिक कहानी | बच्चों की नैतिक कहानियाँ