बच्चों की नैतिक कहानी: गणित का जादू

घंटी बजी, छठी कक्षा में गणित के अध्यापक महोदय ने प्रवेश किया। उसके हाथ में छमाही परीक्षा की उत्तर-पुस्तिका थी। ज्यों ही वह कक्षा में घुसे, सभी छात्र उठ खड़े हुए। फिर उसके संकेत पर यथास्थान बैठ गये।

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गणित का जादू

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बच्चों की नैतिक कहानी: गणित का जादू:- घंटी बजी, छठी कक्षा में गणित के अध्यापक महोदय ने प्रवेश किया। उसके हाथ में छमाही परीक्षा की उत्तर-पुस्तिका थी। ज्यों ही वह कक्षा में घुसे, सभी छात्र उठ खड़े हुए। फिर उसके संकेत पर यथास्थान बैठ गये। अध्यापक महोदय भी अपनी कुर्सी पर जा बैठे। सभी छात्रों की निगाहें उत्तर-पुस्तिकाओं पर ही थीं। प्रत्येक के हृदय की धड़कन बढ़ गयी। अध्यापक महोदय ने उत्तर पुस्तिका खोली। फिर एक-एक छात्र को अपने समीप बुलाकर उसकी उत्तर पुस्तिका उसे देखने के लिए दी। आखिर में जब एक उत्तर पुस्तिका उसके पास रह गयी तो वह बोले, "कौन है अकबर?" (Moral Stories | Stories)

"मैं हूं" अपनी जगह खड़ा हो अकबर बोला।

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"निकट आओ" अध्यापक महोदय ने उसके पास आने पर सारी कक्षा को सम्बोधित कर कहा, "पूरी कक्षा में यही एक ऐसा छात्र है, जिसे गणित में सौ में से सौ अंक मिले हैं। सबको इससे प्रेरणा लेनी चाहिए"। यह कहकर अध्यापक महोदय ने शाबाशी से उसकी पीठ ठोंकी। अलग-अलग स्कूल से आए हुए सभी छात्र अब तक एक-दूसरे से पूरी तरह परिचित भी नहीं हो पाए थे। अकबर ने तो बहुत बाद में दाखिला लिया था।

थोड़ी देर में अपनी-अपनी उत्तर-पुस्तिकाएं देखकर सभी छात्रों ने उसे लौटा दी। 

अध्यापक महोदय ने उसका बंडल बनाकर टेबल पर रखा। फिर पढ़ाई शुरू हो गई। अकबर गणित में अव्वल था भी। मगर उसकी कक्षा में अध्यापक द्वारा उसे दी गयी शाबाशी कुछ छात्रों को अखर गयी। वे थे नयन, परेश और जमील। इन्हें गणित में क्रमशः चालीस, पैतिस और तीस अंक मिले थे। यही नहीं, उन्होंने मौका देखकर परीक्षा में चोरी भी की थी। (Moral Stories | Stories)

उस दिन शनिवार था। हाफ डे के बाद स्कूल में छुट्टी हो गयी। सभी लड़के अपने-अपने घर जाने लगे। नयन, परेश और जमील तीनों...

उस दिन शनिवार था। हाफ डे के बाद स्कूल में छुट्टी हो गयी। सभी लड़के अपने-अपने घर जाने लगे। नयन, परेश और जमील तीनों अकबर के पीछे पड़ गये। वे उसे नीचा दिखाकर उसका मनोबल घटाना चाहते थे। तीनों उसे बहका कर किसी तरह अलग ले गए। वे एक पेड़ की छाया में जा बैठे। जमील ने उससे पूछा, "क्‍यों बच्चू अकबर, गणित में सौ में से सौ अंक कैसे लाए? क्या हमें नहीं बताओगे कि परीक्षा में चोरी करने का तुम्हें कौन सा गुण मालूम हे?"

"परीक्षा में चोरी। क्या बकते हो? मैं तो जानता भी नहीं हूं कि परीक्षा में चोरी कैसे की जाती है और न तो आजतक मैंने कभी इसके बारे में सोचा भी है" अकबर ने साफ कहा। (Moral Stories | Stories)

लेकिन वे तीनों कब यह मानने वाले थे। परेश ने उसे लोभ  दिया, "यार, क्‍यों इतना बनते हो। हमें भी बता दो न। हम तुम्हें अपना दोस्त बना लेंगे और आज ही तुम्हें एक अच्छी-सी पिक्चर दिखाने पी.वी.आर ले जाएंगे। बहुत अच्छी फिल्म लगी है- "बड़े मियां छोटे मियां"।

सच कहता हूं" अकबर ने फिर कहा, "परीक्षा में चोरी क्यों करूंगा जबकि मैं अपनी कक्षा की पाठ्य-पुस्तक के सभी सवाल अच्छी तरह हल कर सकता हूं"।

"बड़े आए हो हल करने वाले" नयन चिढ़ कर बोला, "याद रखो, चोरी करने का राज़ यदि नहीं बताया तो हम से बुरा कोई न होगा। अपनी भलाई-बुराई अच्छी तरह सोच लो"।

तीनों की बातें सुनकर अकबर ने स्थिति भांप ली। वह नहीं चाहता था कि अपनी कक्षा के किसी लड़के से उसका मन-मुटाव हो। वह कुछ ऐसा उपाय सोच रहा था जिससे इन साथियों का उसके बारे में जो भ्रम है, दूर हो जाये। साथ ही परीक्षा में चोरी करने की उनकी आदत भी छूट जाये। वह उनसे मधुर सम्बन्ध बना लेना चाहता था। (Moral Stories | Stories)

तुरंत उसे एक उपाय सूझा। वह झट बोला, "मैं गणित का जादू जानता हूं"।

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"जादू!" तीनों चौंक पड़े।

"हां, वह आगे बोला, "मैं गणित के इस जादू से एक रूपया को एक पैसा सिद्ध कर दूंगा"। "ऐसा नहीं हो सकता" तीनों अड़ गए।

"कर दूं तो?"

"फिर मान जाएंगे कि तुमने परीक्षा में चोरी नहीं की है" तीनों एक साथ बोले।

अब अकबर ने अपनी बात शुरू की, "एक रूपये में कितने पैसे होते हैं?"

"सौ पैसे" नयन बोला।

"हम सौ पैसे को इस तरह भी तो लिख और कह सकते हैं- दस पैसे गुणा दस बराबर सौ पैसे"। (Moral Stories | Stories)

"जरूर" परेश ने हामी भरी।

"अब हम दस पैसे को साधारण भिन्‍न में बदल कर एक बटा दस रूपया तो कर ही सकते हैं"। "क्यों नहीं! जमील ने स्वीकारा।

"फिर हम ऐसा भी तो लिख और कह सकते हैं एक बटा दस रूपया गुणा एक  बटा दस"।

थोड़ी देर सोचकर तीनों बोल उठे, "बिल्कुल होगा"। अकबर ने एक साथ तीनों से पूछा। "एक बटा एक सौ रूपया, वे एक स्वर में बोले, "ठीक है"।

अकबर ने फिर पूछा, "अब एक बटा एक सौ रूपया को पैसे मे बदल डालो।

"हिसाब लगाते ही तीनों के मुख से अनायास निकल पड़ा, "एक पैसा"।

"बस, सिद्ध हो गया न, एक रूपया बराबर एक पैसा"। अकबर ने अपनी बात पूरी की।

"हां, तीनों की बोलती बंद हो गयी। वे हैरान थे। उन्हें लगा, सच ही अकबर ने उनके ऊपर कोई जादू कर दिया है। उस दिन से तीनों पर गणित के इस जादू का ऐसा असर पड़ा कि उन्होंने झट अकबर को अपना दोस्त बना लिया और गणित के प्रति उनकी रूचि भी काफी बढ़ गई। अकबर के साथ रहकर अब उन्हें चोरी करके परीक्षा पास करने की अपेक्षा मेहनत के द्वारा गणित का जादू सीखना अधिक अच्छा जान पड़ा। (Moral Stories | Stories)

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