Jungle Story: बहादुर चुनमुन चुनमुन चूहा बहुत ही पेटू था। उसे हर समय सिर्फ खाने की ही फिक्र लगी रहती थी। खाने की लालच में कभी-कभी तो वह अपने पड़ोसियों के घरों में भी घुस जाता था और जो भी खाना उसे नजर आता, वह फौरन चट कर जाता। By Lotpot 01 May 2024 in Stories Jungle Stories New Update बहादुर चुनमुन Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Jungle Story बहादुर चुनमुन:- चुनमुन चूहा बहुत ही पेटू था। उसे हर समय सिर्फ खाने की ही फिक्र लगी रहती थी। खाने की लालच में कभी-कभी तो वह अपने पड़ोसियों के घरों में भी घुस जाता था और जो भी खाना उसे नजर आता, वह फौरन चट कर जाता। (Jungle Stories | Stories) एक बार उसके मित्र चुंचु चूहे ने उसको अपने जन्म दिन की दावत में आमंत्रित किया। चुनमुन के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती थी। जन्मदिन वाले दिन, वह एक सुंदर सा उपहार खरीदकर चुंचु के घर पहुंच गया। चुनमुन ने पहले से ही निश्चय कर लिया था कि वह दावत में जमकर खाएगा चाहे दूसरे लोग उसका मजाक ही क्यों न उड़ाएं। अपनी आदत, अनुसार दावत में उसने छककर भोजन किया। दावत खत्म होने के पश्चात चुंचु को "शुभ रात्रि" कहकर चुनमुन, अपने घर की ओर लौट पड़ा। रात काफी हो चुकी थी। इसलिए चुनमुन तेज कदमों से चल रहा था। दावत में इतना खाकर भी चुनमुन का मन पूरी तरह से तृप्त नहीं हुआ था। "काश मैं कुछ केक और खा लेता..."। रास्ते में चलते समय चुनमुन के मन में बार-बार यही ख्याल आ रहा था। अभी वह कुछ ही दूर आगे बढ़ा था कि अचानक उसे किसी खुशबूदार खाने की गंध मिली। खाने की गंध पाकर चुनमुन अपने आप को रोक नहीं पाया। (Jungle Stories | Stories) "आह! लगता है यहां आसपास कोई अच्छा भोजन है, चलकर देखना चाहिए"। चुनमुन ने अपने आप से कहा, और फिर वह उसी दिशा की ओर चल पड़ा जहां से खाने की खुशबू आ रही थी। एक घर के पास पहुंचकर चुनमुन रूक गया। खाने की खुशबू उसी घर से आ रही थी। उसने आसपास नजर दौड़ा कर पहले यकीन कर लिया कि आसपास कोई है तो नहीं। "लगता है घर के सारे सदस्य सो चुके हैं। यही अच्छा मौका है"। चुनमुन ने एक खुली खिड़की से घर में प्रवेश किया। एक कमरे में पहुंचते ही उसकी नजर कोने में रखी कई मिठाई और बिस्कुट के पैकेटों पर पड़ी। उनको देखते ही चुनमुन खुशी के मारे उछल पड़ा। "शायद आज मेरे भाग्य में अच्छी चीज़ें खाना ही लिखा है, पहले चुंचु के घर में दावत अब यहां मिठाइयों और बिस्कुटों की दावत"। अपने पेट पर हाथ फेरते हुए चुनमुन ने कहा। चुनमुन ने मिठाई के एक पैकेट को उठाकर उसमें से दो मिठाई निकाल ली, पर जैसे ही उसे खाने के लिए मुंह की ओर बढ़ाया, तभी कमरे में किसी के आने की आहट हुई। मिठाई को जेब में रखकर, चुनमुन बड़ी ही फुर्ति के साथ पास ही रखे सोफे के पीछे जा छिपा। (Jungle Stories | Stories) कमरे में दो लोगों ने प्रवेश किया। सोफे के पीछे छिपा, चुनमुन उन दोनों को देखते ही पहचान गया। "अरे यह तो मंगलू भेड़िया है, पर... कमरे में दो लोगों ने प्रवेश किया। सोफे के पीछे छिपा, चुनमुन उन दोनों को देखते ही पहचान गया। "अरे यह तो मंगलू भेड़िया है, पर उसके साथ स्कूल का चपरासी झपटू बंदर यहां क्या कर रहा है? उन दोनों को एक साथ देखकर चुनमुन को कुछ शक हुआ। चुनमुन ध्यान से उन दोनों की बातें सुनने लगा। "झपटू, कल अशोकवन स्कूल में वार्षिक समारोह मनाया जा रहा है। समारोह में बच्चों के माता-पिता भी आएंगे। तुम इन जहरीली, मिठाईयां और बिस्कुट के पैकेटों को कल समारोह के दौरान बच्चों और उनके माता-पिता में बंटवा देना। इन मिठाइयों और बिस्कुटों को खाने के दस मिनट बाद ही सभी लोग मारे जाएंगे और वन में आतंक फैल जाएगा। आखिर आतंक फैलाना ही तो मकसद है हमारा"। मंगलू भेडिया हंसते हुए बोला। "पर अगर किसी को मुझ पर शक हो गया तो" झपटू ने पूछा। (Jungle Stories | Stories) "स्कूल के चपरासी पर भला किसी को क्या शक होगा। तुम बस होशियारी के साथ अपना काम करना। जानते हो इस काम के लिए तुम्हें पड़ोसी वन के राजा पचास लाख रूपया देंगे। और हां, काम खत्म होते ही तुम नदी किनारे आ जाना, मैं वहीं तुम्हारा इंतजार करूंगा। फिर हम लोग दोनों पड़ोसी वन में भाग जाएंगे"। मंगलू भेड़िया और झपटू बंदर की बातें सुनकर, चुनमुन कांप उठा। "अरे यह लोग तो, हमारे वन में आतंक फैलाना चाहते हैं। मुझे तुरंत घर जाकर, महाराज शेर सिंह को इसकी सूचना देनी चाहिए"। यह सोचकर चुनमुन तुरंत खिड़की की ओर दौड़ा। (Jungle Stories | Stories) पर तभी मंगलू की नजर, भागते चुनमुन पर पड़ गई। "अच्छा तो तू छिप कर हमारी बातें सुन रहा था। अब तू बच नहीं सकता"। मंगलू ने गुस्से से कहा और फिर जेब से चाकू निकालकर चुनमुन की ओर निशाना लगाकर मारा। चाकू, चुनमुन के पैरों में जा लगा। वह धड़ाम से फर्श पर गिर पड़ा और बेहोश हो गया। "इस चूहे को ले जाकर पीछे वाली कोठरी में बंद कर दो"। मंगलू ने झपटू को आदेश दिया। झपटू ने चुनमुन को उठाकर कोठरी में बंद कर दिया। जब चुनमुन को होश आया तो उसने अपने आप को कोठरी में पाया। कोठरी बहुत तंग थी और चारों तरफ से बंद थी। बस एक दरवाजा था और हवा आने के लिए थोड़ी ही ऊपर एक छोटा सी खिड़की थी। कोठरी में एक बल्ब भी जल रहा था। चुनमुन के पैर में तेज दर्द हो रहा था और खून भी निकल रहा था। उसके पैर में अब भी चाकू घुपा हुआ था। शायद मंगलू, चाकू निकालना भूल गया था। चुनमुन ने अपने पैर से चाकू निकाला। फिर अपनी शर्ट को फाड़कर उसे पट्टी बनाकर घाव पर बांध दिया। ऐसा करने से उसे कुछ आराम मिला, अब चुनमुन वहां से निकलने का उपाय सोचने लगा। तभी उसकी नजर ऊपर की खिड़की पर पड़ी। लंगड़ाते हुए वह उस खिड़की के पास पहुंचा। खिड़की ज्यादा ऊपर नहीं थी। चुनमुन का हाथ खिड़की तक आसानी से पहुंच रहा था। उसने देखा कि खिड़की पर मजबूत लोहे की जाली लगी हुई थी। (Jungle Stories | Stories) "अगर बाहर निकलना है तो इस जाली को तोड़ना होगा"। चुनमुन ने मन ही मन सोचा। अचानक उसे एक उपाय सूझा। वह चाकू उठा लाया और चाकू की सहायता से, खिड़की में लगी लोहे की जाली को धीरे-धीरे काटना शुरू किया। एक घंटे के कठिन प्रयास के बाद, चुनमुन लोहे की जाली को काटने में सफल हो ही गया। जाली को हटाकर वह खिड़की से कूदकर बाहर आया। बाहर चारों तरफ अंधेरा था। चुनमुन तेजी से महाराज शेर सिंह के महल की ओर चल पड़ा। पैर के घाव के कारण उसे चलने में काफी तकलीफ हो रही थी पर वह हिम्मत हारे बिना चलता रहा। महल पहुंचकर चुनमुन ने मंगलू और झपटू के षडयन्त्रों की जानकारी शेर सिंह को दे दी। शेरसिंह ने तुरंत अपने सैनिकों को मंगलू के घर की ओर रवाना कर दिया। रात को ही मंगलू और झपटू को जहरीली मिठाईयां और बिस्कुट के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों को पकड़कर शेरसिंह के सामने पेश किया गया। शेरसिंह ने दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई। शेरसिंह ने चुनमुन को शाबाशी देते हुए कहा, "चुनमुन तुमने अपनी जान की परवाह किए बगैर, इनको पकड़वाकर इस वन के जानवरों की रक्षा की है। हम तुम्हारे आभारी हैं"। फिर चुनमुन को अपनी गाड़ी में बैठाकर शेरसिंह उसे अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टर मन्नु हाथी ने उसके घाव की मरहम पट्टी की। दूसरे दिन अशोकवन स्कूल के वार्षिक समारोह में चुनमुन को विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया। शेरसिंह ने जब सभी लोगों को चुनमुन की बहादुरी का किस्सा सुनाया तो सभी लोग "चुनमुन जिंदाबाद" के नारे लगाने लगे। शेरसिंह ने चुनमुन को बहादुरी के लिए पुरस्कार स्वरूप एक स्वर्ण पदक दिया और साथ-साथ अपने महल में एक महीने तक मुफ्त दावत करने का निमंत्रण भी दिया। (Jungle Stories | Stories) lotpot | lotpot E-Comics | Hindi Bal Kahaniyan | Hindi Bal Kahani | bal kahani | Bal Kahaniyan | Hindi kahaniyan | Hindi Kahani | kids hindi jungle Stories | kids hindi stories | kids jungle stories in hindi | kids Jungle Stories | Jungle Hindi Stories | Jungle Hindi Story | jungle stories in hindi | hindi jungle stories for kids | Hindi Jungle Stories | kids short stories | kids hindi short stories | short stories | Short Hindi Stories | hindi short Stories | hindi stories | hindi stories for kids | लोटपोट | लोटपोट ई-कॉमिक्स | बाल कहानी | बाल कहानियां | हिंदी बाल कहानियाँ | हिंदी बाल कहानी | बच्चों की हिंदी कहानियाँ | हिंदी मजेदार कहानी | हिंदी कहानियाँ | हिंदी कहानी | 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