नैतिक कहानी : अटूट प्यार और समझदारी की सीख

एक गाँव में मीनू नाम की एक प्यारी सी लड़की रहती थी। वह बहुत होशियार थी, लेकिन कभी-कभी अपनी शरारतों में कुछ गलतियां कर बैठती थी। उसके माता-पिता, सुमन और राजेश, उसे बहुत प्यार करते थे।

By Lotpot
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Moral story  lesson of unbreakable love and understanding
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अटूट प्यार और समझदारी की सीख- एक गाँव में मीनू नाम की एक प्यारी सी लड़की रहती थी। वह बहुत होशियार थी, लेकिन कभी-कभी अपनी शरारतों में कुछ गलतियां कर बैठती थी। उसके माता-पिता, सुमन और राजेश, उसे बहुत प्यार करते थे। लेकिन मीनू की एक आदत थी कि वह अपनी किताबें और खिलौने इधर-उधर फेंक देती थी और जब उससे कहा जाता, तो बहाना बनाकर हंस देती।

एक दिन, मीनू की माँ ने देखा कि घर बिखरा पड़ा है। उन्होंने मीनू से कहा, "बेटा, अपनी चीजें ठीक से क्यों नहीं रखती? तुम्हें पता है, इस तरह से सबको दिक्कत होती है।"
मीनू ने हंसते हुए कहा, "माँ, मैं भूल गई थी। अगली बार सही करूंगी।"

लेकिन ऐसा हर बार होता रहा। एक दिन, मीनू ने स्कूल से आने के बाद अपनी सारी किताबें फर्श पर फैला दीं। तभी उसकी छोटी बहन नैना खेलते-खेलते उन पर गिर गई और रोने लगी।

मीनू डर गई और रोते हुए अपनी माँ के पास भागी, "माँ, मुझसे गलती हो गई। नैना को चोट लग गई।"
माँ ने मीनू को गले लगाया और कहा, "बेटा, गलती करना गलत नहीं है, लेकिन उसे सुधारना ज़रूरी है। हम सब गलती करते हैं, लेकिन उससे सीखते हैं। क्या तुम नैना से माफी मांगोगी?"

मीनू ने फौरन अपनी बहन से माफी मांगी और अपनी चीजें ठीक से रखने का वादा किया।

उसी रात, जब सब डिनर कर रहे थे, मीनू ने अपने पापा से पूछा, "पापा, आप और माँ मुझसे कभी नाराज़ क्यों नहीं होते, चाहे मैं कितनी भी गलती करूं?"
पापा मुस्कुराए और बोले, "बेटा, क्योंकि हम जानते हैं कि तुम हर गलती से सीखती हो। हमारा प्यार हमेशा तुम्हारे साथ है, चाहे कुछ भी हो। लेकिन हमें खुशी तब होती है, जब तुम अपनी गलतियों को सुधारती हो।"

मीनू ने बड़े ध्यान से उनकी बात सुनी और कहा, "पापा, अब मैं वादा करती हूं कि अपनी गलतियों से हमेशा सीखूंगी और सबकी मदद करूंगी।"

अगले दिन, मीनू ने अपनी किताबें सही जगह पर रखीं, नैना के साथ खेली और अपनी माँ के काम में भी हाथ बंटाया। उसके माता-पिता उसकी मेहनत देखकर बहुत खुश हुए।

इस कहानी से बच्चों को यह सीख मिलती है कि गलती करना बुरा नहीं है, लेकिन उसे सुधारना ज़रूरी है। माता-पिता का प्यार हमेशा बच्चों के साथ होता है, लेकिन उनकी बात मानकर अपनी आदतों को बेहतर बनाना बच्चों का फर्ज है। प्यार और समझदारी के साथ हम हर मुश्किल को हल कर सकते हैं।

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