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क्या आपका ज्ञान सामान्य है
Moral Story: क्या आपका ज्ञान सामान्य है:- कुछ दिनों पहले की बात है। दसवीं कक्षा में पढ़ने वाला मेरा बेटा अपने कुछ दोस्तों के साथ सामान्य ज्ञान पर बातें कर रहा था। जहां सारे लड़के खूब बढ़-चढ़ कर अपना सामान्य-ज्ञान बहार रहे थे, वहीं एक ऐसा लड़का भी था जो चुपचाप बैठा हुआ था। (Moral Stories | Stories)
उसे चुप देखकर मैंने उसे टोका, "अरे बेटे, सब लड़के अपना-अपना सामान्य ज्ञान का बखान कर रहे हैं तुम चुप क्यों हो? तुम भी बहस में भाग लो"।
उस लड़के ने उदास स्वर में जवाब दिया, "चाचाजी, मैं इन लोगों की बातों में हिस्सा नहीं ले सकता। मेरा सामान्य ज्ञान अच्छा नहीं है"। मैं हैरानी से बोला, "तो क्या तुम्हारा सामान्य ज्ञान बिल्कुल अच्छा नहीं है?"
"नहीं" उसने कहा।
मैंने उससे कहा, "तो तुम भी अपना सामान्य ज्ञान क्यों नहीं बढ़ाते हो?'' (Moral Stories | Stories)
"कैसे बढ़ाऊं अपना सामान्य ज्ञान?" उसने मुझसे प्रश्न किया।
मैंने उससे कहा, "बेटे, यह प्रतियोगिता का युग है। किसी भी प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करने के लिए सामान्य ज्ञान का अच्छा होना...
मैंने उससे कहा, "बेटे, यह प्रतियोगिता का युग है। किसी भी प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करने के लिए सामान्य ज्ञान का अच्छा होना बहुत जरूरी है। जिसका सामान्य ज्ञान अच्छा रहता है, उसके लिए किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा को पास करना आसान होता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए उत्तम सामान्य ज्ञान बहुत जरूरी है।
"सामान्य ज्ञान अर्जित करना मामूली काम नहीं है और न ही यह जादू की छड़ी घुमाने से प्राप्त होने वाला है। इसके लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है। सामान्य ज्ञान की पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएं बराबर पढ़नी पड़ती हैं। रेडियो, टी.वी. सुनना व देखना पड़ता है। (Moral Stories | Stories)
"सामान्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए बचपन से ही प्रयासरत हो जाना चाहिए तथा इसे निरंतर प्राप्त करते रहना चाहिए। किशोरावस्था में इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ठोस ज्ञान की नींव इसी अवस्था में रखनी चाहिए यदि किशोरावस्था में इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर अत्यन्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जैसा कि अभी तुम कर रहे हो"।
"हां चाचाजी"।
"तुम्हारे घर में पत्र पत्रिकाएं आती हैं?" मैंने उससे पूछा।
"हाँ आती है"। उसने कहा।
"पर तुम उन्हें पढ़ते नहीं हो शायद?" (Moral Stories | Stories)
"मैं सिर्फ कौमिक्स पढ़ता हूं, और कुछ नही"।
"देखो बेटे" मैंने आगे कहा, "समाचार पत्र नियमित रूप से पढ़ना चाहिए। इसमें देश-विदेश के सभी प्रमुख समाचार विस्तार से प्रकाशित किए जाते हैं। सुबह माश्ते के समय कुछ देर तक अखबार जरूर पढ़ना चाहिए। शुरू में कुछ अटपटा सा लगेगा। किंतु बाद में अच्छा लगने लगेगा। खूब मन लगेगा। अखबार पढ़ने में लगाया गया समय बाद में काम आता है। इसी प्रकार पत्रिकाएं भी पढ़नी चाहिए। पत्रिकाओं में भी रोचक व ज्ञानवर्धक लेख आदि प्रकाशित होते हैं। इन लेखों को पढ़ने से जहां एक ओर आपको आनंद आएगा वहीं दूसरी ओर सामान्य ज्ञान भी बढ़ेगा तथा लोगों आदि के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने की उत्सुकता बढ़ती जाएगी। (Moral Stories | Stories)
"तुम दुनिया के दूसरे देशों की संस्कृति इतिहास आदि की जानकारी प्राप्त करना चाहो तो तुम्हें मुफ्त में मिल सकता है। अपने देश में... राजधानी दिल्ली में विदेशों के दूतावास हैं। ये दूतावास अपने देश से संबंधित पुस्तकें मुफ्त में बांटते हैं। इन दूतावासों को ई-मेल लिखने से ये अपने देश की जानकारी बढ़ाने वाली पुस्तकें भेज देते हैं। इन पुस्तकों से सामान्य ज्ञान काफी बढ़ाया जा सकता है। इन पुस्तकों में उस देश से संबंधित तथ्य, आंकड़े और अधिकाधिक जानकारी होती है। वह सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए बहुमूल्य हैं"।
"दूतावासों के अतिरिक्त बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थान तथा कुछ अन्य संस्थाएं भी इस प्रकार की पत्रिकाएं तथा पुस्तक प्रकाशित करती हैं। इनका उद्देश्य भी अपने उद्योग अथवा लक्ष्य का अधिकाधिक प्रचार करना होता है। उन संस्थानों के जन सम्पर्क अधिकारी को ई-मेल लिखकर यह सामग्री प्राप्त की जा सकती है। इन सामग्रियों से सामान्य ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
"सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए रोज़ाना रेडियो सुनना चाहिए व टी.वी. देखना चाहिए। रेडियो तथा टी.वी. पर भी ज्ञानवर्धक खबरें प्रसारित होती हैं। इससे अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाने में भरपूर सहयोग लेना चाहिए।
इस प्रकार यदि आप पूरे लगन तथा मनोयोग से अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहेंगे तो निश्चय ही आपका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा।
सामान्य ज्ञान रातों रात नहीं बढ़ाया सकता। इसके लिए कछुए की चाल चलकर ही मंजिल पर पहुंचा जा सकता है। इसलिए इसकी शुरूआत छोटी उम्र से ही कर देनी चाहिए। यदि उपयुक्त बातों पर ध्यान देकर सामान्य ज्ञान प्राप्त किया गया तो जिंदगी भर आप उसे नहीं भूलेंगे"। (Moral Stories | Stories)
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