Motivational Story: किसान की बेटी

किसी जमाने में एक गरीब आदमी अपना खेत जोत रहा था। कि उसके हल की फल किसी कठोर चीज से टकरायी। उस व्यक्ति ने बैलों को रोक दिया और यह देखने के लिए झुका कि वह कया चीज है। चीज देख कर वह अचम्भे में पड़ गया।

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किसान की बेटी

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Motivational Story किसान की बेटी:- किसी जमाने में एक गरीब आदमी अपना खेत जोत रहा था। कि उसके हल की फल किसी कठोर चीज से टकरायी। उस व्यक्ति ने बैलों को रोक दिया और यह देखने के लिए झुका कि वह कया चीज है। चीज देख कर वह अचम्भे में पड़ गया। उसके सामने जमीन पर सोने की ओखली पड़ी थी। वह तेजी से घर भागा। (Motivational Stories | Stories)

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उसकी बेटी ने पूछा, "आप इतनी जल्दी क्यों चले आये"। बह बोला, "आज मेरी किस्मत खुल गयी है। मुझे जमीन में सोने की ओखली मिली है। मैं इसे बादशाह को भेंट करने जा रहा हूं और बदले में जमीन लूंगा"।

"पिताजी जरा रूको और विचार करो राजा आपको कुछ नहीं देगा"। कहते हुए उसने अपने पिता को समझाने की कोशिश की पर उसने अपनी बेटी की बात नहीं मानी।

वह ओखली लेकर राजा के पास पहुँचा। वह बोला, "जहांपना, सोने की इस ओखली के बदले मुझे जमीन दें"।

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राजा ने पूछा "पर इसके साथ और क्‍या था?" (Motivational Stories | Stories)

"ओ मूर्ख, तुम्हारा क्या मतलब है। जहाँ ओखली होगी, वहां कुछ और रहा होगा। जाओ और उसे खोजकर लाओ और यदि तुम उसे खोज कर नहीं लाये तो...

"ओ मूर्ख, तुम्हारा क्या मतलब है। जहाँ ओखली होगी, वहां कुछ और रहा होगा। जाओ और उसे खोजकर लाओ और यदि तुम उसे खोज कर नहीं लाये तो मैं अपने लोगों को हुक्म दूंगा कि वे तुम्हारी जुबान काट लें"। वह आदमी उदास हो गया और बोला "उसकी बात न मानने की मुझे सही सजा मिली है"। राजा ने पूछा "किसकी बात?'' (Motivational Stories | Stories)

अपनी बेटी की बात। "वह बोली, "राजा निश्चय ही ऐसी बात करेगा। और उसकी बात बिल्कुल सही निकली"।

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"उसे किस प्रकार मालूम हुआ कि मैं ऐसी मांग करूंगा"।

"जब किसी के बुद्धि होती है तो वह कह सकता है आगे किसी बात का नतीजा क्‍या होगा"। "अच्छा, यदि तुम्हारी बेटी इतनी चालाक है तो उसे मेरे पास भेज दो"।

उस आदमी ने घर आकर अपनी बेटी को सारी बात सुना दी। "पिताजी चिंता न करें, मैं जाऊंगी"। (Motivational Stories | Stories)

"दूसरे दिन वह राजा के सामने आकर बोली "महाराज, क्या हुक्म है?"

"हम लोग देखना चाहते हैं कि तुम कितनी चालाक हो। अब घर जाओ और कल न तो बिना कपड़े पहने आओ और कपड़े पहन कर भी, न पैदल आओ और न घोड़े पर बैठ कर या किसी सवारी पर। यदि तुम इसमें सफल हो गई तो मैं ओखली तुम्हारे पिताजी को लौटा दूंगा। यदि नहीं तो मैं तुम्हें दंड दूंगा। दूसरे दिन उस युवती ने अपनी पोशाक उतारी, मछली पकड़ने वाले जाल को शरीर पर लपेट लिया, उसे गधे से बांधा जो उसे खींच कर महल तक ले गया।

राजा उस युवती की बुद्धि पर चकित रह गया। उसने गरीब आदमी को सोने की ओखली वापस कर दी और उसकी बेटी को अपने दरबार में रख लिया ताकि जरूरत पड़ने पर उससे सलाह कर सके।

एक दिन कुछ गड़रिये अपने पशुओं को हांकते हुये चरागाह में ले जा रहे थे। वे रास्ते में जंगल में रात में ठहर गये। उन लोगों ने अपने घोड़ों को खोला, उनकी पीठ पर से गठरी उतारी, खाना खाया और सो गये। रात में एक गड़रिये की घोड़ी ने शावक़ जना। दूसरा गड़रिया उठा और शावक को अपने बैल के पांव से बांध दिया। सुबह घोड़ी के मालिक ने कहा कि इस शावक को बैल ने जना है, अतः यह शावक मेरा है। वे बहस करने लगे और अंत में लड़ने को उतारू हो गए। उनके बीच सहमति नहीं हुई अंत में वह राजा के पास गये। (Motivational Stories | Stories)

राजा बोला, "यह शावक बैल के बगल में था, अतः यही बात कही जायेगी कि बैल ने इसे जना है"।

घोड़ी का मालिक स्तब्ध रह गया। वह महल छोड़ कर चल पड़ा। किसान की बेटी उसके पीछे-पीछे आयी और धीरे स्वर में बोली "उतावले नही हो, सत्य की विजय होगी। मछली पकड़ने वाला जाल लेकर आओ और राजमहल के प्रांगण में फेंको। निस्संदेह राजा को आश्चर्य होगा कि तुम सूखी जमीन पर मछली पकड़ने की कोशिश कर रहे हो, पर तुम चुप रहना। मैं तुम्हारे बदले जवाब दूंगी"। गड़रिये ने वैसा ही किया।

राजा ने उसे प्रांगण में मछली पकड़ते देखा पर उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। युवती हंसती हुई बोली- "इसमें आश्चर्य की क्या बात है, यदि शावक बैल जन सकता है तो मछली धरती पर क्यों नहीं रह सकती"।
तब राजा को सारी बात समझ में आयी। वह गुस्से में भर उठा और युवती को घर वापस भेज दिया। युवती भी यही चाहती थी। (Motivational Stories | Stories)

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