Motivational story: जोखिम बिना जीवन
विख्यात साहित्यकार मार्क ट्वेन की प्रसिद्ध उक्ति है, ‘आज से बीस साल बाद आप उन चीजों से ज्यादा मायूस होंगे जो आपने नहीं कीं, बजाय उन चीजों के जो आपने की हैं। इसलिए सारे सहारे फेंक दें, सुरक्षित किनारों को छोड़ दें।
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स्वतंत्रता दिवस का एक दिन शेष था। विद्यालय में बच्चों ने दिनभर 15 अगस्त के कार्यक्रमों की तैयारी की। शशांक भी पूरे दिन की तैयारी से थक कर लौटा था। सोते समय वह माँ से कहने लगा- ‘माँ! मैं सोने के लिए जा रहा हूँ।
सुदामा भगवान कृष्ण के बचपन के मित्र थे। सुदामा का जन्म एक गरीब ब्राहमण परिवार में हुआ था वहीं श्री कृष्ण एक अमीर परिवार में पैदा हुए थे। पर उनकी दोस्ती में कभी भी अमीरी और गरीबी की वजह से दरार नहीं आई।
एक बार एक व्यक्ति स्वेट मार्डेन के पास आया और उनसे बोला, ‘सर, मैं काम करने की इच्छा रखता हूँ, लक्ष्य मैंने निर्धारित कर लिया है और आवश्यक साधन भी मेरे पास हैं।
देव गुप्त जयगढ़ के राजा का प्रधान सेनापति था। वह बहुत ही निर्दयी और मक्कार था। वह देश के राजस्व का कार्य भी देखता था। राजस्व के कार्य में आमदनी का अच्छा मौका था। देव गुप्त की चाँदी रहती थी।
रैकेट बॉल (टेनिस) की विश्व चैंपियनशिप का फाइनल मैच चल रहा था। रुबेन गॉनजेलिस फाइनल मैच खेल रहे थे। उनके प्रतिद्वंदी और उनमें कड़ी टक्कर थी। दर्शक सांस रोके मैच देख रहे थे।
भगवान श्रीकृष्ण को उज्जयिनी के सुविख्यात विद्वान और धर्मशास्त्रों के प्रकांड पंडित ऋषि संदीपनी के पास विद्या अध्ययन के लिए भेजा गया। ऋषि संदीपनी भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा को एक साथ बिठाकर शास्त्रों की शिक्षा देने लगे।