बिना सोचे-समझे का पछतावा – एक अनमोल सीख
गर्मियों की दोपहर थी। एक हरा-भरा गांव, जहां खुली हवा, हरे-भरे खेत और तालाब के किनारे खेलते बच्चे खुशियों से भरे रहते थे। उसी गांव में मधु नाम का एक चंचल और नटखट लड़का रहता था।
गर्मियों की दोपहर थी। एक हरा-भरा गांव, जहां खुली हवा, हरे-भरे खेत और तालाब के किनारे खेलते बच्चे खुशियों से भरे रहते थे। उसी गांव में मधु नाम का एक चंचल और नटखट लड़का रहता था।
बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक बारहसिंगा (Deer) रहता था। वह बहुत ही घमंडी था और हमेशा अपनी सुंदरता पर इतराता था। उसे अपने लंबे, घुमावदार और शानदार सींगों (Antlers) पर बहुत गर्व था
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में कई मुर्गे और मुर्गियां रहते थे। ये सभी मुर्गे सुबह-सुबह जोर-जोर से बांग देकर गांववालों को जगाते थे, जिससे लोग समय पर अपने काम पर लग जाते थे। गांव में हर किसी को इन मुर्गों की बांग की आदत हो गई थी।
एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए, घर घर जा कर सामान बेचा करता था। एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि, अब वह जिस भी द्वार पर जायेगा
एक समय की बात है, जंगल में एक चालाक सियार रहता था जिसे मछली खाने का बहुत शौक था। एक दिन, उसका मन मछली खाने का हुआ तो वह नदी की ओर चल दिया। नदी के किनारे पहुंचकर उसने देखा कि दो ओटर एक बड़ी मछली को लेकर आपस में उलझ रहे हैं।
एक बार की बात है, भारत के तराई क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ गया। वहां के पक्षियों का राजा, जो हिमालय पर रहता था, ने सभी पक्षियों को खाने की खोज में भेज दिया। उसने कहा, "जाओ और खाने का जुगाड़ करो और वापस आओ
एक समय की बात है, राजा वीरेंद्र नामक एक बहादुर राजा था जो अपनी प्रजा के लिए बहुत कुछ करने के इच्छुक थे। उनका राज्य बहुत समृद्ध और खुशहाल था, लेकिन एक चीज जो राजा वीरेंद्र को हमेशा परेशान करती थी