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कविताएँ बच्चों के लिए सिर्फ़ पढ़ने का साधन नहीं बल्कि सीखने और आनंद लेने का माध्यम होती हैं। “बरखा रानी और सूरज की छुट्टी” कविता बच्चों को प्रकृति (nature) से जोड़ती है। इसमें बताया गया है कि कैसे पेड़-पौधे, पक्षी (birds) और धरती (earth) बारिश का इंतज़ार करते हैं और सूरज (sun) की तेज़ी से थक जाते हैं। यह कविता बच्चों को प्रकृति का महत्व और धैर्य (patience) की सीख देती है।
कविता – बरखा रानी और सूरज की छुट्टी
ॐ रहे हैं पेड़ सभी,
धरती है हैरान,
मांग रही धूप बस,
मुट्ठी भर मुस्कान।
सूरज लाल हुआ गुस्से से,
पाखी हुए उदास,
चला बुझाने काला बादल,
सबकी गहरी प्यास।
क्यूं री बरखा रानी बोलो,
कैसे कर दी देर,
मेरा कोई दोष नहीं,
बस समय का हेर-फेर।
सूरज की छुट्टी,
अब सब मिलकर खुशी मनाओ,
आई बरखा रानी,
सूरज को दे दो अब छुट्टी,
कर लो सब मनमानी।
कविता से मिलने वाली सीख
प्रकृति का संतुलन (balance of nature) – सूरज, बादल और बारिश सभी का अपना-अपना महत्व है।
धैर्य और उम्मीद (patience and hope) – जैसे धरती और पंछी बारिश का इंतज़ार करते हैं, वैसे ही हमें भी सही समय का इंतज़ार करना चाहिए।
खुशी का संदेश (message of happiness) – बरखा रानी के आने से सबके चेहरे पर मुस्कान लौट आती है।
बच्चों के लिए कविता क्यों ज़रूरी है?
कविता पढ़ने से बच्चों की कल्पनाशक्ति (imagination) बढ़ती है।
भाषा और शब्दों का ज्ञान बेहतर होता है।
लय और तुकांत (rhyming) से पढ़ाई मज़ेदार बनती है।
बरखा रानी और सूरज की छुट्टी” कविता बच्चों को यह सिखाती है कि मौसम बदलना प्रकृति का नियम है और हर बदलाव हमें नई खुशी देता है। बच्चों को ऐसी कविताएँ पढ़ने से न केवल ज्ञान मिलता है बल्कि वे प्रकृति के प्रति संवेदनशील (sensitive) भी बनते हैं।
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