प्यारी सी कविता - लाल टमाटर

लाल टमाटर: यह कविता एक प्यारे और मनमोहक अंदाज में बच्चों को सब्जियों के बीच का संवाद सिखाती है। इसमें लाल टमाटर और हरी मिर्ची के बीच एक हल्की-फुल्की नोकझोंक दिखाई गई है

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लाल टमाटर: यह कविता एक प्यारे और मनमोहक अंदाज में बच्चों को सब्जियों के बीच का संवाद सिखाती है। इसमें लाल टमाटर और हरी मिर्ची के बीच एक हल्की-फुल्की नोकझोंक दिखाई गई है, जो बच्चों को खूब भाती है। मिर्ची अपनी हरी, पतली और तीखी पहचान पर इतराती है, जबकि टमाटर अपनी गोल-मटोल और मीठी प्रकृति का जिक्र करते हुए मिर्ची को टोकता है कि वह क्यों सबको दुख देती है।

यह कविता सिर्फ हंसी-मजाक नहीं, बल्कि एक सुंदर संदेश भी देती है कि हमारे गुणों का घमंड नहीं करना चाहिए। जिस तरह टमाटर सबके लिए प्रिय और लाभदायक है, उसी तरह हमें भी अपने गुणों से सबका दिल जीतना चाहिए।

रंगीन शब्दों और संवाद के ज़रिए यह कविता बच्चों को सिखाती है कि विनम्रता हमेशा सबसे प्यारा गुण होता है और घमंड से लोग दूर हो जाते हैं। मिर्ची का तीखापन और टमाटर की मिठास दोनों ज़रूरी हैं, लेकिन प्यार और अपनापन हमेशा लोगों के दिल में जगह बना लेते हैं।

यह कविता बच्चों की कल्पना में रंग भरती है और उन्हें भाषा, भाव और सीख का एक शानदार उदाहरण देती है। स्कूलों की पाठ्य पुस्तकों और कहानी की किताबों में इस तरह की कविताएँ बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में मददगार होती हैं।

लाल टमाटर

लाल टमाटर, लाल टमाटर
मिर्ची बोली सुन लो आकर
मैं पतली-सी हरी-हरी,
दौड़ लगाऊं खड़ी-खड़ी।
टमाटर बोला मिर्ची रानी,
क्यों इतना इतराती हो,
पतली-सी तुम, दम भी कम है,
क्यों गुस्सा मुझे दिलाती हो।
मैं बच्चों को प्यारा लगता,
गोल-गोल हूँ, सबको भाता,
तुम तो खूब रुलाती हो,
सबको दुख पहुंचाती हो।

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