हिंदी बाल कविता - पढ़ते जाओ

"पढ़ते जाओ, पढ़ते जाओ, पढ़ते जाओ, सबसे आगे बढ़ते जाओ" - यह पंक्ति एक ऐसी प्रेरणादायक कविता की शुरुआत है जो बच्चों के दिलों को छूती है और उन्हें शिक्षा के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है।

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"पढ़ते जाओ, पढ़ते जाओ, पढ़ते जाओ, सबसे आगे बढ़ते जाओ" - यह पंक्ति एक ऐसी प्रेरणादायक कविता की शुरुआत है जो बच्चों के दिलों को छूती है और उन्हें शिक्षा के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देती है। यह कविता न केवल पढ़ाई के महत्व को उजागर करती है, बल्कि जीवन में सफलता के लिए निरंतर प्रयास और गुरु की शिक्षाओं का सम्मान करने की सीख भी देती है। "पढ़ने से ही ज्ञान मिलेगा, गुरु से विद्या-दान मिलेगा" की पंक्तियाँ बच्चों को बताती हैं कि ज्ञान का स्रोत किताबें और शिक्षक दोनों हैं, जो उन्हें उन्नति की ओर ले जाते हैं।

कविता में "विद्या तो बेकार न होती, पढ़े लिखों की हार न होती" का संदेश गहरा है। यह दर्शाता है कि शिक्षा कभी व्यर्थ नहीं जाती और पढ़े-लिखे लोग जीवन की चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर सकते हैं। "आसमान पर चढ़ते जाओ, सबसे आगे बढ़ते जाओ" के साथ कविता एक सपने की उड़ान को प्रोत्साहित करती है, जो बच्चों को बड़े लक्ष्यों की ओर प्रेरित करती है। यह कविता न केवल शैक्षिक मूल्यों को बढ़ावा देती है, बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास और मेहनत की भावना भी जगाती है।

भाषा सरल और लयबद्ध है, जो इसे बच्चों के लिए याद रखने में आसान बनाती है। यह कविता उन्हें बताती है कि पढ़ाई के माध्यम से वे न केवल व्यक्तिगत विकास कर सकते हैं, बल्कि समाज में भी सम्मान और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। कुल मिलाकर, यह एक मोटिवेशनल रचना है जो बच्चों को शिक्षा के प्रति उत्साहित करती है और जीवन में सकारात्मक दिशा दिखाती है।

पढ़ते जाओ

पढ़ते जाओ, पढ़ते जाओ,

सबसे आगे बढ़ते जाओ।

पढ़ने से ही ज्ञान मिलेगा,

गुरु से विद्या-दान मिलेगा।

विद्या तो बेकार न होती,

पढ़े लिखों की हार न होती ।

 आसमान पर चढ़ते जाओ,

सबसे आगे बढ़ते जाओ ।

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