हिंदी बाल कविता : मैं हूँ वृक्ष- जीवन की पुकार

इस कविता में एक वृक्ष की भावुक पुकार को दर्शाया गया है। वृक्ष हमसे विनती करता है कि उसे न काटें, क्योंकि वह न केवल पक्षियों के लिए घर और भोजन का स्रोत है, बल्कि हमें शुद्ध हवा, छाया और प्रदूषण से राहत भी देता है।

By Lotpot
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Hindi Children Poem I am a tree - the call of life

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हिंदी बाल कविता : मैं हूँ वृक्ष- जीवन की पुकार:- इस कविता में एक वृक्ष की भावुक पुकार को दर्शाया गया है। वृक्ष हमसे विनती करता है कि उसे न काटें, क्योंकि वह न केवल पक्षियों के लिए घर और भोजन का स्रोत है, बल्कि हमें शुद्ध हवा, छाया और प्रदूषण से राहत भी देता है। अगर हम वृक्षों को काटते रहेंगे, तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाएगा और हम अपने जीवन के लिए आवश्यक सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे। कविता प्रकृति के प्रति जागरूकता फैलाती है और हमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है।

मुझे मत गिराओ, मैं हूँ वृक्ष,
मुझे मत काटो, न बाँटों।
पक्षी मेरी डाल पर बैठे,
चूँ-चूँ, चीं-चीं गीत सुनाते।

हर टहनी पर घर बनाएँ,
मेरे फूल-फल भी खाएँ।
उन्हें बेघर न तुम बनाओ,
उनका खाना मत चुराओ।

तुम्हें हवा और छाया देता,
प्रदूषण को भी मैं लेता।
फिर भी यदि मुझे गिराओगे,
तो यह सब कुछ कैसे पाओगे?

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