"देखो देखो डाकिया आया" एक सरल और प्यारी कविता है जो बच्चों के लिए डाकिए की भूमिका और उसके महत्व को दर्शाती है। कविता में एक डाकिए का वर्णन किया गया है, जो खाकी कपड़े पहने, एक थैला लिए, चिट्ठियां बांटता हुआ नजर आता है। हर घर में डाकिया चिट्ठियां पहुंचाता है, जिससे लोग अपने प्रियजनों के संदेश प्राप्त करते हैं।
कविता में बच्चे की मासूमियत और उत्साह को दर्शाया गया है, जब वह डाकिए से अपने लिए भी चिट्ठी मांगता है। जब बच्चे को चिट्ठी मिलती है, तो उसमें शादी का निमंत्रण होता है। बच्चे और उसका परिवार शादी में जाने, मिठाई खाने और खुशियां मनाने की योजना बनाते हैं।
यह कविता न केवल बच्चों के मनोरंजन के लिए है, बल्कि यह उन्हें डाकिया के काम के महत्व और संदेशों के आदान-प्रदान के महत्व को भी सिखाती है। यह सरल शब्दों और आसान तुकबंदी के साथ बच्चों के लिए आनंददायक और शिक्षाप्रद है।
देखो देखो डाकिया आया
देखो देखो डाकिया आया,
थैला एक हाथ में लाया।
पहने हैं वो खाकी कपड़े,
चिट्ठी कई हाथ में पकड़े।
बांट रहा घर-घर में चिट्ठी,
मुझको भी दो लाकर चिट्ठी।
चिट्ठी में संदेशा आया,
शादी में है हमें बुलाया।
शादी में सब जाएंगे हम,
खूब मिठाई खाएंगे हम।