हिंदी कविता : शेर और चुहिया

शेर और चुहिया: यह कविता दया, मित्रता और परोपकार की सीख देती है। कहानी में शेर और चुहिया के बीच मज़ेदार संवाद होता है। चुहिया ग़लती से शेर को जगा देती है, जिससे वह नाराज़ हो जाता है।

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Hindi poetry Sher and Chuhiya

Hindi poetry -Sher and Chuhiya

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शेर और चुहिया: यह कविता दया, मित्रता और परोपकार की सीख देती है। कहानी में शेर और चुहिया के बीच मज़ेदार संवाद होता है। चुहिया ग़लती से शेर को जगा देती है, जिससे वह नाराज़ हो जाता है। लेकिन शेर समझदारी से पेश आता है और उसे भोजन देकर उसकी मदद करता है। यह कविता हमें सिखाती है कि भलाई का बदला भलाई से देना चाहिए और दूसरों की मदद करने से दोस्ती और मजबूत होती है।

शेर कर रहा था बात,
चुहिया ने मारी उसको लात।
"मुझको क्यों जगाया तुमने,
सोती हुई उठाया तुमने?"

हाथ जोड़कर बोला शेर,
"मुझे दिखा एक बड़ा-सा पेड़।
उस पर लगे थे कई फल,
तुम सोई थी भूखी कल।

खा लो, पेट भर जाएगा,
गुस्सा भी कम हो जाएगा।
तुमने मुझे बचाया था,
अच्छा पाठ पढ़ाया था।

इसीलिए तो लाया फल,
सो जाओ तुम, उठना कल।"

📌 कविता से हमें क्या सीख मिलती है?

दयालुता सबसे बड़ी ताकत है: इस कविता से यह सिखने को मिलता है कि बड़प्पन शारीरिक ताकत से नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने से आता है
अच्छे कर्म का फल अच्छा ही होता है: चुहिया ने पहले किसी न किसी रूप में शेर की मदद की थी, और अब शेर भी बिना बदले की भावना के उसकी सहायता कर रहा है
गुस्सा छोड़कर प्यार से बात करना चाहिए: शेर चाहे तो चुहिया को गुस्से में डांट सकता था, लेकिन उसने समझदारी और धैर्य से अपनी बात कही, जिससे चुहिया को भी खुशी मिली।
मित्रता में स्वार्थ नहीं होता: सच्चे दोस्त वही होते हैं जो मुसीबत के समय मदद करें और बिना किसी स्वार्थ के एक-दूसरे की भलाई चाहें

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