हिंदी बाल कविता: बनकर सूरज रहना

By Lotpot
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बनकर सूरज रहना

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बनकर सूरज रहना

मत रीझो चांद पर,
उसमें कहां उजाला है।

पूजो तुम सूरज को,
जो जीवन देने वाला है।

सदा जलना उसको,
नहीं थकना उसको।

स्वयं को जलाकर भी,
तम को हरने वाला है।

मौलिकता है उसमें,
तेजस्विता है उसमें।

प्रकृति के अनुबंधों का,
सच्चा रखवाला है।

जीवन संघर्ष सूरज का,
सीधा है, शाश्वत है।

चेतनतां, कर्मठता के,
रथ पर चलने वाला है।

बनकर सूरज रहना,
अनुगामी मत बनना।

चक्रव्यूह जीवन का,
अविरल चलने वाला है।

राह कांटों की चलना,
पुष्प डगर है छलना।

पत्थर तप-तप कर ही,
कुंदन बनने वाला है।

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