हिंदी बाल कविता: व्यापारी की पोल

By Lotpot
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व्यापारी की पोल

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व्यापारी की पोल

डम-डम-डम-डम बाजारों में
बजा-बजा के ढोल।

खोल रहे थे बन्दर-मामा
व्यापारी की पोल।

खूब मिलाते धनियां में तुम
घोड़े वाली लीद।

इसीलिए है सेठ तुम्हारी
नित दीवाली ईद।

खूब पपीते बीज मिलाते
काली-मिर्ची बीच।

कोई मरे-जिये क्‍या चिंता
तुम हो कितने नीच।

चावल में पत्थर मिलवाये
तुमने किया कमाल।

खींच रहे दोनों हाथों से
तुम जनता का माल।

जांच करूं कल दुकानों की
मत आगे आना।

जिसने की कालाबाजारी
वह अन्दर जाना।

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